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आँसुओ के सैलाभ में कल पंडित सूर्यनारायण चतुर्वेदी को सातवीं पुण्यतिथि पर नम आंखों से दी जाएगी भावभीनी श्रद्धांजलि

-पूर्वान्चल के मालवीय पं. सूर्यनारायण चतुर्वेदी की जीवन यात्रा

इस नश्वर संसार में कुछ लोग बनाये हुये रास्तों पर चलते हैं तो कुछ ऐसा मार्ग बनाते हैं जिन पर पीढ़ियां गौरव करते हुये उन्हें प्रकाश पुन्ज के रूप में याद करके भविष्य का मार्ग प्रशस्त करती है। ऐसे ही थे सन् 1950 ई. में संतकबीरनगर (तब बस्ती) जिले के महुली थाना क्षेत्र के ग्राम भिटहा में जन्में पं. सूर्यनारायण चतुर्वेदी जिन्होने अनेक संकटों, झंझावतों के बीच अडिग रहते हुये अनेक शिक्षण संस्थानों की और पूर्वान्चल के गौरव के रूप में प्रतिष्ठित हैं।
पं. सूर्यनारायण चतुर्वेदी के पिता का नाम पं. अम्बिका प्रताप नारायण चतुर्वेदी और माता का नाम चन्द्रकली देवी था। जब वे मात्र 5 वर्ष के थे तभी इनके पिता का देहावसान हो गया और इनके बड़े भाई वशिष्ट मुुनि चतुर्वेदी और गोमती प्रसाद चतुर्वेदी व माँ के आँचल में पले-बढ़े। पंडित सूर्यनारायण चतुर्वेदी मेधावी विद्यार्थी थे। इनके स्नातक की शिक्षा हीराराल रामनेवास पीजी कालेज खलीलाबाद और परास्नातक की शिक्षा गोरखपुर विश्वविद्यालय से तथा बी. एड. की शिक्षा रतन सेन डिग्री कालजे बाँसी से हुई। पं. सूर्यनारायण चतुर्वेदी समय से पहले ही परिवार व समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को लेकर चिन्तित रहने लगे और इसी सोच के चलते ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को शिक्षा से वंचित होता देख मात्र 30 वर्ष की उम्र में ही उन्होंने सन् 1980 में अपने पैतृत गाँव के बगल ग्राम परवता में बाबा पर्वतनाथ इण्टर कालेज की नींव रखी और धीरे-धीरे शिक्षा के क्षेत्र में उनके द्वारा शुरू किया गया यह कांरवा बढता गया। और सन् 2002-03 में उन्होंने ग्रामीण अंचल में देखा कि यहां के छात्र उच्च शिक्षा से वंचित हो रहे है तो उन्होनों इसी वर्ष में ही पं. अम्बिका प्रताप नारायण स्नातकोत्तर महाविद्यालय डुमरी हरिहरपुर संतकबीरनगर जैसे उच्च शिक्षण संस्थान की स्थापना किया। इसके बाद पं. चतुर्वेदी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और लगभग संतकबीरनगर जिले में अनेक उच्च शिक्षण संस्थान उनके द्वारा स्थापित किये गये जिसमें बी.बी.काम, बी.एस.सी.,एम. काम, एम एस.सी, बी.पी. एड, बीएड, बी.टी.सी., एम.एड. आदि पाठक्रमों की पढ़ाई हो रही है जिससे जिले के ही नही बल्कि पूरे पूर्वांचल के युवा लाभान्वित हो रहे हैं।
संतकबीरनगर जिले में शैक्षणिक क्रान्ति के बाद पं. सूर्यनारायण चतुर्वेदी ने बस्ती जिले में शिक्षा का अलख जगाने के लिए अपना कदम आगे बढ़ाया। सीमित संसाधनों एवं अपनी दृढ इच्छाशक्ति के बूते उन्होने वर्ष 2006-07 में बस्ती जनपद मुख्यालय से सटे ग्राम जामडीह में जी. एस. पी. जी. कालेज की स्थापना किया और धीरे-धीरे बस्ती में उनका यह कारवां आगे बढता रहा। कुछ दिनों के अन्दर ही बस्ती शहर एवं शहर से सटे इलाकों में उन्होने अनेक शिक्षण संस्थाओं की स्थापना किया और शिक्षा को ज्योति जलाकर नया आयाम दिया।

राजनैतिक यात्राः-

पंडित. सूर्यनारायण चतुर्वेदी ने अनेक शिक्षण संस्थाओं के स्थापना के साथ ही राजनीति में भी अपनी धमक दिखाई। उन्होने अपने भतीने दिग्विजय नारायण उर्फ जय चौबे को राजनीति के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया और वर्ष 2000 में उन्हें जिला पंचायत सदस्य और जिला पंचायत उपाध्यक्ष को कुसी दिलाने में अहम भूमिका निभाई इसके बाद वर्ष और 2006 में जिले के अपने समय के सबसे कम उम्र के पुत्र अजय को ब्लाक प्रमुख नाथनगर की कुसी दिलवाया। इसके बाद 2010 में उनका राजनैतिक सितारा और चमका और अपने घंटे बेटे राकेश चतुर्वेदी को नाथनगर ब्लाक जैसे राजनैतिक अखाड़े का निर्विरोध ब्लाक प्रमुख बनवाया। वे बस्ती लोकसभा सीट के लिए भाजपा से टिकट का प्रबल दावेदार है।
पंडित सूर्यनारायण चतुर्वेदी ने विधानसभा चुनाव में अपने भतीजे जय चौबे को विधान खलीलाबाद से विधायक बनवाकर अपने राजनैतिक क्षमता का परिचय दिया। भरा पूरा परिवार को एक साथ लेकर चलने की उनकी सोच अंतिम समय तक कामयाब रही-इनके बड़े भाई वशिष्ठ मुनि चतुर्वेदी सपरिवार दिल्ली में रहकर बहुत बड़ा कारोबार करते है तथा दूसरे बड़े भाई गोमती प्रसाद चतुर्वेदी रिटायर्ड डाकिया हैं। पं. चतुर्वेदी के बड़े बेटे डा. उदप प्रताप चतुर्वेदी सूर्या इण्टरनेशनल एकेडमी खलीलाबाद के मैनेजिंग डायरेक्टर और छोटे बेटे अजय प्रताप नारायण उर्फ राकेश चतुर्वेदी एस. आर. इण्टरनेशनल एकेडमी नाथनगर संतकबीरनगर के मैनेजिंग डायरेक्टर है। इनके तीनों पुत्रियां संध्या चतुर्वेदी, कंचन चतुर्वेदी व कुमुम चतुर्वेदी शादी के बाद अपने ससुराल में इस समय परिषदीय विद्यालयों में शिक्षिका है और बड़ी बहू सविता चतुर्वेदी, सूर्या इंटरनेशनल एकेडमी एवं छोटी बहू शिखा चतुर्वेदी राजन इण्टर नेशनल एकेडमी शिक्षण संस्थान के संचालन में योगदान कर रही हैं।

उनके सपनों को साकार करने के लिए दोनों बेटे एवं बहुएं सूर्या हॉस्पिटल,एसआर हॉस्पिटल, शिखा चतुर्वेदी लॉ कॉलेज, राकेश चतुर्वेदी डिग्री कालेज, राजन इंटरनेशनल एकेडमी, रजत हॉस्पिटल सहित अनेक शिक्षण संस्थानों संचालित कर रहे है। सबसे अहम बात तो यह है कि पूरा परिवार सरल एवं सहज है किसी व्यक्ति के भीतर कोई अहंकार नही है। पूरा परिवार सामाजिक सरोकारों से जुड़ा है।

पूर्वांचल के मालवीय कहे जाने वाले स्वर्गीय पंडित सूर्य नारायण चतुर्वेदी की पुण्यतिथि 3 अक्टूबर को मनाई जाएगी जिसको लेकर सारी तैयारियां पूरी कर ली गई है । महुली स्थित एक प्राईवेट विद्यालय मे अध्यापन कार्य करने वाले पं सूर्य नारायण चतुर्वेदी ने जब समाज के पिछड़ेपन को भीतर से महसूस किया तो शिक्षा का अभाव सबसे बड़ा कारण बन कर उभरा। अपने पैतृक गांव के पास बाबा पर्वत नाथ इण्टर कालेज की स्थापना करके अपने खून पसीने से इस शैक्षणिक पौध को वट वृक्ष बनाने का संकल्प लिया। यह यात्रा निरन्तर गतिमान है।

उनके दोनों बेटे एवं बहुएं उनके सपनों को साकार करने में लगे है शिक्षण संस्थान निरन्तर अग्रसर हो यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है।

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