Sunday, May 5, 2024
साहित्य जगत

और क्या मांगू जब……

और क्या मांगू
जब तुम्हें पा लिया
एक मुकम्मल ख्वाब की तरह
भोर की उजास की तरह
प्रभात की भानु की तरह
सुबह की चाय की तरह
दिसम्बर की तल्ख़ धूप की तरह
जेठ में जल वृष्टि की तरह
श्रावणी हिरितिमा की तरह
गोधुलि बेला की तरह
ठोस तुषार की तरह
भाल श्रमबिन्दुओं की तरह
शबनमी बरसात की तरह
चांदनी हर रात की तरह
सांझ की तनहाई की तरह
चंचल पुरवाई की तरह
अल्पायु की जिंदगी की तरह
तुम्हें जब पा लिया
और क्या मांगू …..

आर्यावर्ती सरोज “आर्या
लखनऊ (उत्तर प्रदेश)