Sunday, April 28, 2024
हेल्थ

टीबी उन्मूलन के संकल्प के साथ मनाया गया विश्व क्षय रोग दिवस

गोरखपुर, विश्व क्षय रोग दिवस पर जिला क्षय रोग केंद्र गोरखपुर में एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया । इसमें मौजूद लोगों ने गोरखपुर को टीबी मुक्त बनाने का संकल्प लिया । मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे की अध्यक्षता में हुई संगोष्ठी के दौरान टीबी बीमारी, इसके उपचार और बचाव के बारे में विस्तार से चर्चा की गयी । कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन गोरखपुर चैप्टर की अध्यक्ष डॉ स्मिता जायसवाल, प्रसिद्ध चेस्ट फिजिशियन डॉ नदीम अर्शद और ट्रैफिक सब इंस्पेक्टर रामवृक्ष यादव ने भी बीमारी के बारे में अपने विचार व्यक्त किये । सभी लोगों ने टीबी उन्मूलन में सामुदायिक सहभागिता का संकल्प दुहराया और एक स्वर में कहा कि-‘‘हां, हम गोरखपुर में टीबी का करेंगे अंत’’।

होली के कारण इस वर्ष विश्व क्षय रोग दिवस 24 मार्च को न मना कर 28 मार्च को मनाया गया । इसका थीम है-‘‘हां, हम टीबी का अंत कर सकते हैं ।’’ इस मौके पर टीबी बीमारी का पता लगाने वाले वैज्ञानिक राबर्ट कॉक के चित्र पर पुष्पांजलि कर उन्हें याद किया गया । अतिथियों ने जिले में सक्रिय कार्य कर रहे टीबी चैम्पियन को पुष्प देकर सम्मानित किया । टीबी उन्मूलन में सक्रिय योगदान दे रहे सरकारी और गैर सरकारी कर्मियों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित भी किया गया। टीबी चैम्पियन ने वर्ल्ड विजन इंडिया संस्था की तरफ से टीबी जनजागरूकता संबंधी ग्लास वर्ड अतिथियों को भेंट किया।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने कहा कि टीबी एक ऐसी बीमारी है जो हमारी दशा, दिशा और दर्शन को बदल देती है। इसकी समय से पहचान कर उचित मात्रा में और उचित समय तक दवा ली जाए तो यह पूरी तरह से ठीक हो जाती है। जिले में इस समय 8257 ड्रग सेंसिटिव टीबी मरीजों का इलाज चल रहा है । इस वर्ष जनवरी से लेकर अब तक 3097 नये टीबी मरीज खोजे गये हैं । हमारा प्रयास होना चाहिए कि अधिक से अधिक नये टीबी मरीज खोज कर उनका समय से उपचार किया जाए । समय से उपचार न मिलने पर टीबी ड्रग रेसिस्टेंट हो जाती है और इसका इलाज जटिल होता है । जिले में इस समय 322 ड्रग रेसिस्टेंट टीबी मरीजों का इलाज चल रहा है।

कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि और आईएमए अध्यक्ष डॉ स्मिता जायसवाल ने कहा कि निजी क्षेत्र टीबी उन्मूलन में कंधे से कंधा मिला कर कार्य कर रहा है । संगठन का प्रयास होगा कि अधिक से अधिक टीबी मरीजों को गोद लेकर उन्हें मानसिक संबल और पोषण संबंधी सहयोग प्रदान किया जाए। वरिष्ठ चेस्ट फिजिशियन डॉ नदीम अर्शद ने कहा कि सबसे बड़ी चुनौती टीबी मरीज द्वारा इलाज पूरा हुए बिना बीच में दवा बंद कर देना है । ऐसा करने वाले मरीज, डीआर टीबी से ग्रसित हो जाते हैं और उन्हें इलाज के दौरान कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है । ट्रैफिक सब इंस्पेक्टर रामवृक्ष यादव ने टीबी संबंधी खुद के अनुभवों को साझा किया और बताया कि वर्ष 2010 में टीबी का इलाज करवाने के बाद वह स्वस्थ जीवन जी रहे हैं।

जिला क्षय अधिकारी डॉ गणेश यादव ने टीबी बीमारी के लक्षणों के बारे में चर्चा किया और कहा कि लक्षण दिखते ही नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जांच करानी चाहिए । इलाज शुरू होने के तीन सप्ताह बाद टीबी संक्रामक नहीं रह जाती है। निक्षय पोषण योजना के तहत टीबी मरीज को इलाज चलने तक पांच सौ रुपये प्रति माह की दर से पोषण के लिए धनराशि भी दी जाती है । जरूरतमंद टीबी मरीजों को सामाजिक संस्थाए और अन्य लोग गोद लेकर सहयोग व मानसिक संबल दे रहे हैं। इस समय 3060 क्षय रोगियों को गोद लेकर 1160 निक्षय मित्र उनके साथ खड़े हैं।

इस मौके पर सेवानिवृत्त प्रधानचार्य व कवि सुभाष यादव और सरिता सिंह ने अपनी रचना के जरिये टीबी उन्मूलन का संदेश दिया। कार्यक्रम का संचालन उप जिला क्षय अधिकारी डॉ विराट स्वरूप श्रीवास्तव और आभार ज्ञापन पीपीएम समन्वयक अभय नारायण मिश्रा ने किया ।

इस मौके पर एसीएमओ आरसीएच डॉ एके चौधरी, डिप्टी सीएमओ डॉ अनिल सिंह, चिकित्सा अधिकारी डॉ सुनील सिंह, डीएचईआईओ केएन बरनवाल, डीपीसी धर्मवीर प्रताप सिंह, पीपीएम समन्वयक मिर्जा आफताब बेग, इंद्रनील, डीएलसी डॉ भोला गुप्ता, शक्ति पांडेय, रामाज्ञा और अभयनंद सिंह समेत सभी ब्लॉक से आए स्वास्थ्यकर्मी और टीबी चैम्पियन मौजूद रहे ।

*यह लक्षण दिखे तो कराएं जांच*

डीटीओ डॉ यादव ने कहा कि अगर दो सप्ताह से अधिक समय तक खांसी, रात में पसीने के साथ बुखार, भूख न लगना, तेजी से वजन घटना, सांस फूलना, सीने में दर्द और बलगम में खून आने जैसा लक्षण दिखे तो यह टीबी भी हो सकती है। ऐसी स्थिति में तत्काल जांच करानी चाहिए। जांच की सुविधा जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में मौजूद है।