Saturday, May 4, 2024
साहित्य जगत

सरिता त्रिपाठी फेसबुक लाइव पेज कार्यक्रम -पुस्तक विमोचन “मैं और मेरे लम्हे’-डॉ श्रीमती पुष्पा सिंह

लखनऊ। आज भी पुस्तकें उतनी ही प्रासंगिक है।पुस्तके हमारे गुनी जनो के साहित्य का भण्डार है जो भविष्य वर्तमान और भूत काल सभी का चलचित्र प्रस्तुत करती हैं।
पाठक जन इससे समय- समय पर प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाते और पुस्तक को पढ़ने का जो आनन्द
स्वयं के हाथो मे लेकर है अन्य किसी माध्यम से नहीं। आज की प्रगतिशील दुनिया में भी पुस्तक प्रेमी पुस्तकों को हाथ में पाकर खिल उठते हैं। पुस्तके आपकी ऐसी मित्र हैं, जो आपका कभी साथ नहीं छोड़ती और किसी कोने में बैठे-बैठे आपको पूरी दुनिया से मिलवा देती हैं इनमें वह ताकत है जो किसी और वस्तु में नहीं आइये इनसे दोस्ती करें और इनको आदर दे।

दिनांक 16.6.2022 को ऐसे ही कुछ अद्भुत क्षणों को मैंने जिया। अवसर था सरिता त्रिपाठी जी के फेसबुक लाइव पेज पर आदरणीय डाक्टर श्रीमति पुष्पा जी की पुस्तक मैं और मेरे लमहे के विमोचन का।
सरिता त्रिपाठी जी के फेसबुक लाइव पटल पर यह प्रथम पुस्तक विमोचन का कार्यक्रम था। मंच पर सभी गुणी जन विराजमान थे हम सब की प्रतीक्षा समाप्त हुई और वह क्षण आया जब पुस्तक का विमोचन किया गया। सभी ने अपने अपने मोबाइल पर किताब का फ्रंट पेज डिस्प्ले करके दिखाया।
सरिता त्रिपाठी जी के फेसबुक पटल से आज प्रथम पुस्तक विमोचन समारोह में जिसमें डॉ पुष्पा सिंह की पुस्तक ‘मैं और मेरे लम्हें’ का विमोचन किया गया। पुस्तक की भूमिका लिखने वाले डॉ श्याम प्रसाद किशोर जी विशिष्ट अतिथि थे जो कि झारखंड में बी यड संकाय के प्रोफेसर हैं। विशिष्ट अतिथि में शामिल पूर्व भेल के अधिकारी दीद लखनवी जी, प्रियदर्शनी पुष्पा जी, विशु तिवारी जी उपस्थित थे। आज के कार्यक्रम का मंच संचालन किया अर्चना की बातें की संचालिका अर्चना जैन जी ने । मंच की संस्थापिका सरिता त्रिपाठी जी ने जैसा कि बताया यह पटल से प्रथम ऑनलाइन पुस्तक विमोचन कार्यक्रम था।आप सभी लोग ज्यादा से ज्यादा जुड़े और लिंक पर जाकर कमैंट्स जरूर शेयर करें।
सभी गुनी जनों ने अपनी अपनी पसंद की कविता उस पुस्तक से पढ़ी और आनन्द उठाया जो क्रमशः-
अर्चनाजैन-पक्षी का आग्रह,
सरिता त्रिपाठी-बदलता समय,पुष्पा प्रियदर्शनी- एक शाम,डॉ पुष्पा सिंह- घड़ियां,सुनील चौधरी- अम्मा का स्वेटर,डाक्टर महिमा सिंह- मित्रता। पुस्तक में कुल
122 कविताएं हैं और 131 पृष्ठ है।
पुस्तक की भूमिका डाक्टर श्याम प्रशांत किशोर जी ने इतने अनूठे अंदाज में लिखी है की पुस्तक का खाका खींच कर रख दिया है।
सुश्री सरिता त्रिपाठी ने बहुत ही सुंदर अंदाज में दोस्त की कलम से के अंतर्गत लेखिका के बारे में बहुत ही सुंदर अंदाज में लिखा है ।
पुष्पा जी कई बार भावुक भी हो उठी। क्यों ना हो एक कवि की पुस्तक उसके बच्चे के समान होती है। उसके दिन रात के परिश्रम का फल होती है पुस्तक, और विमोचन कवि के सपनो का शिलालेख‌ ।
समारोह का समापन करते हुए बातें तेरे मेरे मन की, आओ कविता पढ़ें ,साहित्य के भागीरथी कार्यक्रम की संचालिका डाक्टर महिमा सिंह जी ने धन्यावाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।
संध्या ने अपने लक्ष्य को प्राप्त करते हुए हम सभी से विदा ली ।
डाक्टर महिमा सिंह ने बताया कि सरिता त्रिपाठी की फेसबुक लाइव पटल पर ऐसे ही अन्य कार्यक्रम प्रस्तावित है इसकी सूचना समय-समय पर प्रदान की जाएगी।

शब्द मेरे मीत
डाक्टर महिमा सिंह
लखनऊ उत्तर प्रदेश