Wednesday, June 26, 2024
साहित्य जगत

एक ज्योति धर्म के आव्हान की…

एक ज्योति धर्म के आव्हान की
एक ज्योति प्यार के पैग़ाम की

एक ज्योति सत्य की रक्षार्थ हो
एक ज्योति जिसमे बस परमार्थ हो

एक ज्योति हो समर्पण के लिये
एक ज्योति मन के अर्पण के लिये

एक ज्योति अपराजित सूर्य से
एक ज्योति चाँद के स्वरूप से

एक ज्योति रौशनी के ताज की
आधी ज्योति कल की आधी आज की

लेकर सारी रौशनी एक दीप में
चाँदनी का मोती मन के सीप में

आत्मा में सब उजाला भर लें हम
रौशनी को आत्मा से वर लें हम

जग के अँधियारे का हो पल में शमन
दीपमाला को करें हम सब नमन ।

बीना शर्मा “सागर”
जयपुर (राजस्थान)