Friday, June 28, 2024
साहित्य जगत

पवित्र मास कार्तिक मास का महामात्य

-हिंदू पंचांग में पूर्णिमा तिथि से तारीख बदलती है।

कार्तिक मास भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है। इस महीने भगवान विष्णु चार महीने की योग निद्रा के बाद उठते हैं, इसे विष्णुमास के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि यह महीना भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को समर्पित है। इस माह में पूजन और व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और समस्त कष्टों का निवारण होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक मास में ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने से पृथ्वी पर सभी तीर्थ करने के समान पुण्य की प्राप्ति होती है। इस माह को मोक्ष का द्वार भी कहा जाता है।

, करवा चौथ, अहोई अष्टमी, रमा एकादशी, धनतेरस, नरक चतुर्दशी, लक्ष्मी पूजा, गोवर्धन पूजा, भाई दूज, छठ पूजा और तुलसी विवाह, कार्तिक महीने में मनाए जाने वाले कुछ त्योहार हैं। महीने की पूर्णिमा के दिन को कार्तिक पूर्णिमा कहा जाता है और इसे वाराणसी में देव दिवाली के रूप में मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस महीने में सूर्य और चंद्रमा की किरणों का मन और शरीर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
महीने के दौरान किया जाने वाला कोई भी व्रत, यहां तक ​​​​कि छोटे से छोटा ब्रत या पूजा भी बहुत बड़ा परिणाम देता है। यह भगवान कृष्ण को दीप चढ़ाने का महीना है जो माया यशोदा द्वारा रस्सियों से बंधे होने के उनके मनोरंजन का महिमामंडन करता है। ऐसा कहा जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा को भगवान विष्णु का ‘मत्स्य अवतार’ हुआ था।

कार्तिक माह को सभी माह में सर्वश्रेष्ठ माह माना गया है। यह माह पापों का नाश कर सभी संकट दूर कर देता है। यह माह धन, सुख, समृद्धि, शांति एवं स्वास्थ्य प्रदान करता है। इसी मास में भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय ने तारकासुर राक्षस का वध किया था, इसलिए इस माह का नाम कार्तिक पड़ा। भगवान श्री हरि विष्णु और भगवान शिव को यह माह विशेष रूप से प्रिय है। इस माह गायत्री मंत्र का जाप सौभाग्य में वृद्धि करता है।
कार्तिक माह में पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस माह श्री हरि जल में ही निवास करते हैं। इस माह दीपदान अवश्य करें। दीपदान करने से सभी तरह के संकट समाप्त होते हैं। कर्ज से भी मुक्ति मिलती है। इस माह भूमि पर शयन करने से मन में सात्विकता का भाव आता है। समस्त रोग और विकार दूर हो जाते हैं। इस माह तुलसी पूजा अवश्य करना चाहिए। कार्तिक माह में उड़द, मूंग, मसूर, चना, मटर, राईं आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। कार्तिक मास में ब्रह्मचर्य का पालन अति आवश्यक है। इस माह कम बोलें, किसी की निंदा या विवाद न करें, मन पर संयम रखें, न अधिक सोएं और न अधिक जागें। इस माह में दान का बहुत महत्व है। इस माह में तुलसी एवं सूर्यदेव को जल अर्पित करें। इस माह रामायण, भागवत गीता का पाठ करना चाहिए। कार्तिक माह में तिल दान, नदी स्नान, साधु पुरुषों का पूजन मोक्ष देने वाला माना जाता है। कार्तिक माह में तुलसी के पौधे का दान दिया जाता है। इस माह पशुओं को हरा चारा अवश्य खिलाएं।

ऐसा माना जाता है कि करवे की टोटी से जो जल की धार गिरती है उसी से वातावरण में शीतकाल का आरंभ हो जाता है और फाल्गुन मास में होलिका दहन की अग्नि की ज्वाला के साथ ही वातावरण में ग्रीष्म काल का आरंभ हो जाता है देखा जाए तो सब कुछ कितना नियमित और सुंदरता से नियोजित किया गया है। इसीलिए यह अटूट सत्य है कि हिंदू धर्म जीने की आदर्श पद्धति है।

9 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा थी, जिसके बाद 10 अक्टूबर से कार्तिक मास आरंभ हो गया है। कार्तिक मास का समापन 8 नवंबर को होगा।

कार्तिक स्नान 10 अक्टूबर से शुरू—

इस पवित्र महीने की शुरूआत शरद पूर्णिमा से होती है और अंत होता है कार्तिक पूर्णिमा या देव दीपावली से। इस बीच करवा चौथ, अहोई अष्टमी, रमा एकादशी, गौवत्स द्वादशी, धनतेरस, रूप चतुर्दशी दीवाली, गोवर्धन पूजा, भैया दूज, सौभाग्य पंचमी, छठ, गोपाष्टमी, आंवला नवमी, देव एकादशी, बैकुंठ चतुर्दशी, कार्तिक पूर्णिमा या देव दीपावली को बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है। इस दौरान देव उठावनी या प्रबोधिनी एकादशी का विशेष महत्व होता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु चार महीने की निद्रा के पश्चात उठते हैं। इस दिन के बाद से सारे मांगलिक कार्य शुरू किए जाते हैं।

कार्तिक महीने का हिन्दू धर्म में खास महत्व है। यह मास शरद पूर्णिमा से शुरू होकर कार्तिक पूर्णिमा पर खत्म होता है। इस महीने में दान, पूजा-पाठ तथा स्नान का बहुत महत्व होता है तथा इसे कार्तिक स्नान की संज्ञा दी जाती है। यह स्नान सूर्योदय से पूर्व किया जाता है। स्नान कर पूजा-पाठ को खास अहमियत दी जाती है। साथ ही देश की पवित्र नदियों में स्नान का खास महत्व होता है। इस दौरान घर की महिलाएं नदियों में ब्रह्ममुहूर्त में स्नान करती हैं। यह स्नान विवाहित तथा कुंवारी दोनों के लिए फलदायी होता है। इस महीने में दान करना भी लाभकारी होता है। दीपदान का भी खास विधान है। यह दीपदान मंदिरों, नदियों के अलावा आकाश में भी किया जाता है। यही नहीं ब्राह्मण भोज, गाय दान, तुलसी दान, आंवला दान तथा अन्न दान का भी महत्व होता है।

हिन्दू धर्म में इस महीने में कुछ परहेज बताए गए हैं। कार्तिक स्नान करने वाले श्रद्धालुओं को इसका पालन करना चाहिए। इस मास में धूम्रपान निषेध होता है। यही नहीं लहुसन, प्याज उड़द,मूग मसूर, चना,मटर ,राई,,दही, करेला, बैगन और मांसाहर का सेवन भी वर्जित होता है। इस महीने में भक्त को बिस्तर पर नहीं सोना चाहिए उसे भूमि शयन करना चाहिए। इस दौरान सूर्य उपासना विशेष फलदायी होती है। साथ ही दाल खाना तथा दोपहर में सोना भी अच्छा नहीं माना जाता है।
दीपावली में पटाखे छुड़ाने का प्रयोजन यह है कि श्राद्ध हेतु जो हमारे पुरखे धरती पर आए थे उन्हें हम रोशनी दिखाकर रास्ता दिखाते हैं कि वे आदर सहित वापस अपने लोक चले जाए। अपनी धार्मिक पुस्तकों को पढ़िए सभी त्योहार हमारे किसी न किसी महत्वपूर्ण तथ्य पर और पर्यावरण को ही समर्पित है।

कार्तिक महीने में तुलसी की पूजा का खास महत्व है। ऐसा माना जाता है कि तुलसी जी भगवान विष्णु की प्रिया हैं। तुलसी की पूजा कर भक्त भगवान विष्णु को भी प्रसन्न कर सकते हैं। इसलिए श्रद्धालु गण विशेष रूप से तुलसी की आराधना करते हैं। इस महीने में स्नान के बाद तुलसी तथा सूर्य को जल अर्पित किया जाता है तथा पूजा-अर्चना की जाती है। यही नहीं तुलसी के पत्तों को खाया भी जाता है जिससे शरीर निरोगी रहता है। साथ ही तुलसी के पत्तों को चरणामृत बनाते समय भी डाला जाता है। यही नहीं तुलसी के पौधे का कार्तिक महीने में दान भी दिया जाता है। तुलसी के पौधे के पास सुबह-शाम दीया भी जलाया जाता है। अगर यह पौधा घर के बाहर होता है तो किसी भी प्रकार का रोग तथा व्याधि घर में प्रवेश नहीं कर पाते हैं। तुलसी अर्चना से न केवल घर के रोग, दुख दूर होते हैं बल्कि अर्थ, धर्म, काम तथा मोक्ष की भी प्राप्ति होती है।।

पुराणों में कार्तिक मास की विशेष महत्वता वर्णित है। शास्त्रों के अनुसार, कार्तिक के समान कोई मास नहीं है, न सतयुग के समान कोई युग और वेद के साथ समान कोई शास्त्र और गंगा के समान कोई तीर्थ नहीं है। कार्तिक मास को मंगलकारी और श्रेष्ठकारी माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक मास में कुछ नियमों का पालन करने से भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त होती है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक मास में ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना अति उत्तम माना जाता है। कहते हैं कि इस महीने किसी पवित्र नदी या घर में ही गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए। कहते हैं कि ऐसा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

– प्रातः काल आंवला और तुलसी से राधा-कृष्ण की पूजा करें।
– शाम को दीया जलाकर भगवान विष्णु और देवी तुलसी की पूजा करें।
– विष्णु स्तोत्र, विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र और गोपाल सहस्रनाम स्तोत्र करें।
– किताबें, घंटियां और संबंधित वस्तुओं का दान करें।

स्कंद पुराण में कार्तिक मास की महिमा का वर्णन करने वाला श्लोक-

न कार्तिकसमो मासो न कृतेन समं युगम्।
न वेदसदृशं शास्त्रं न तीर्थं गंगा समम्।।

इस श्लोक का अर्थ इस प्रकार है–
अर्थात है जिस तरह सतयुग के समान कोई युग नहीं, वेद के समान कोई शास्त्र नहीं, गंगा जी के समान कोई तीर्थ नहीं है, ठीक उसी तरह कार्तिक मास के समान कोई अन्य पावन मास नहीं है।

रोगापहं पातकनाशकृत्परं सद्बुद्धिदं पुत्रधनादिसाधकम्।
मुक्तेर्निदांन नहि कार्तिकव्रताद् विष्णुप्रियादन्यदिहास्ति भूतले।। – (स्कंदपुराण. वै. का. मा. 5/34)

इस श्लोक में कहा गया है कि —
कार्तिक मास जातक को आरोग्य प्रदान करने वाला, रोगविनाशक, सद्बुद्धि प्रदान करने वाला माना जाता है। तथा इस दौरान देवी लक्ष्मी की साधना अत्यंत लाभदायक मानी जाती है, बल्कि इसे सर्वोत्तम फल प्राप्त होता है।

तुलसी पूजन का इस मास मे विशेष महत्व –

हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे को पूजनीय माना जाता है।
शास्त्रों के अनुसार, जिन घरों में प्रतिदिन माता तुलसी की पूजा की जाती है, वहां मां लक्ष्मी का वास हमेशा रहता है। कार्तिक मास में भगवान विष्णु योग निद्रा से जागते हैं और सर्वप्रथम तुलसी की पुकार सुनते हैं। शास्त्रों में कार्तिक मास में तुलसी पूजन शुभ बताया गया है।
ईश्वर का नाम तो हर क्षण लेना चाहिए किंतु कुछ विशेष तिथियों पर विशेष पूजा एवं अर्चना अवश्य करना चाहिए शेष हरि इच्छा ।

कार्तिक मास के व्रत और त्योहार की सूची—-

13अक्टूबर 2022– करवाचौथ व्रत और संकष्टी चतुर्थी
17 अक्टूबर 2022 – अहोई अष्टमी
21अक्टूबर 2022 – रंभा या रमा एकादशी, गोवत्स द्वादशी
22 अक्टूबर 2022– प्रदोष व्रत, धनतेरस (शनिवार)
23 अक्टूबर 2022 – नरक चतुर्दशी, दक्षिणी दीपावली, छोटी दीपावली (रविवार)
24 अक्टूबर 2022 – दीपावली,
25 अक्टूबर 2022–स्नान दान श्राद्ध की भौमवती अमावस्या, केदार गौरी व्रत (मंगलवार)
और सूर्य ग्रहण
26अक्टूबर 2022 – अन्नकूट, गोवर्धनपूजा (बुधवार)
27 अक्टूबर 2022 – चंद्र दर्शन, चित्रगुप्त पूजा, यम द्वितीया, भाई दूज (गुरुवार)
28 अक्टूबर 2022 – विनायकी चतुर्थी, व्रत सूर्य षष्ठी व्रतारंभ (शुक्रवार)
29 अक्टूबर 2022 – पांडव पंचमी , लाभ पंचमी (शनिवार)
30 अक्टूबर 2022 – छठ पूजा, सूर्य षष्ठी व्रत (रविवार)
1 नवंबर 2022 – गोपाष्टमी (मंगलवार)
2 नवंबर 2022 – अक्षय आंवला नवमी
4 नवंम्बर 2022 – हरि प्रबोधिनी या देवउठनी एकादशी,
5 नवम्बर 2022—-शनि प्रदोष व्रत एवं तुलसी विवाह ( शनिवार)
चातुर्मास समाप्त
6 नवंबर 2022– बैकुंठ चतुर्दशी, त्रिपुरारी पूर्णिमा (रविवार)
7 नवंबर 2022 – व्रत की पूर्णिमा (सोमवार),देव दीपावली

8 नवंबर 2022 —-स्नान दान की कार्तिक पूर्णिमा (मंगलवार)

स्वलिखित मौलिक लेख
शब्द मेरे मीत
डॉक्टर महिमा सिंह
लखनऊ उत्तर प्रदेश