Sunday, May 19, 2024
शिक्षा

आमोन रे पर टिप्पणी लिखिए ■इतिहास■ (सिद्धार्थ विश्वविद्यालय)

प्राचीन राज्यकालीन देवताओंमें आमोन रे का स्थान अत्यन्त महत्वपूर्ण था। आमोन रे के प्रतीक सपक्ष सूर्य चक्र को मिश्र के राजचिन्ह के रूप में स्वीकार कर लिया गया। इनका विश्वास था कि राज्य में सुख शान्ति केवल आमोन रे की कृपा एवं उसके सुशासन से ही स्थापित हो सकती है। इसी के फलस्वरूप ही इन्होंने फराऊन को उसका मूर्त रूप स्वीकार कर उसमें दैवी शासन की शक्ति आरोपित की। ये मानते थे कि फराऊन के शासन से ही आमोन रे का सुशासन बना रह सकता है। आमोन रे का चरित्र उत्कृष्ट था। वह सव्यवादी, न्यायी, सदाचारी के साथ-साथ विश्व के नैतिक व्यवस्था का नियामक था। आमोन रे व्यक्ति विशेष का नहीं प्रत्युत समग्र राष्ट्रीय हितों का पोषक था । इससे सम्बन्धित एक पुराकथा में कहा गया है कि किसी समय पृथ्वी पर इसी का अधिशासन था लेकिन मनुष्यों ने इसके विरूद्ध षड्यन्त्र कर दिया। फलतः क्रुद्ध होकर इसने हाथोर देवी को उनके विनाश के लिए भेजा। किन्तु बाद में जब इसे अपने कृत्यों पर पाश्चाताप हुआ तो इसने देवी को मानव जाति का पूर्ण विनाश करने से रोक दिया। इसके अनन्तर दैवी गाय ने इसे अपनी पीठ पर बैठा लिया ताकि यह स्वार्थी मानव जाति एवं पृथ्वी से दूर हटकर स्वर्ग में वास करे। तभी से ओमान रे आकाश में दिव्य नौका पर चढ़कर यात्रा करता हुआ अपने अपरिमित अमृतमय प्रकाश से पृथ्वी का अंधकार दूर करता चला आ रहा है।