देर रात तक
आँखें जगी थी देर रात तक…पलकों में इंतजार था
तेरे आने की आहट सुनाई दे…इसी का इंतजार था
कभी अतीत की यादों में….दिल घूम रहा था
तू करता था मेरा इंतज़ार… यही सोच रहा था
तेरे इश्क की बेकरारी….मुझको तड़पाती थी
मेरी एक मुस्कुराहट… तेरी बेक़रारी बढ़ाती थी
आज फिर उसी इश्क़ का…. दिल तलबगार था
तू छुपा ले फिर आगोश में….बस यहीं ख्वाब था
भूल जाएं फिर एक बार… इस जहांँ को दोनों
मिल जाएगी फिर वो मोहब्बत…. ये एतबार था
स्वरचित
श्वेता गर्ग