मार दिए जाओगे…
काम नेक करने जाओगे
मार दिए जाओगे।
राज चला बेईमानी का
कालजयी खुदगर्ज़ी
सच्चाई दम तोड़ रही है
कामयाब है फर्जी
सच्चाई धरने जाओगे
मार दिए जाओगे।
भरी पड़ी है द्वेष भावना
दूजे खातिर मन में
सुखी देख दूजे को,पावक
भर आता है तन में
प्रेम भाव भरने जाओगे
मार दिए जाओगे।
रचनाकार-अनुज पाण्डेय
गोरखपुर, (उत्तर प्रदेश])