Monday, May 6, 2024
साहित्य जगत

साहित्य मानव की गुणवत्ता बढ़ाता है।

कानपुर । आज भारत उत्थान न्यास (साहित्य मंच) के तत्वावधान में राष्ट्रीय साहित्य सम्मेलन का आयोजन सरस्वती ज्ञान मंदिर इंटर कालेज, आजाद नगर, कानपुर मे किया गया। सम्मेलन में भारत के विभिन्न प्रांतों से पधारे विद्वानों, साहित्यकारों, रचनाधर्मियों एवं विषय विशेषज्ञों द्वारा कहानी, कविता, गीत एवं विचार प्रस्तुत किए गये। सम्मेलन दो सत्रों में आयोजित किया गया। प्रथम सत्र की शुरुआत सुदीप्त सरकार द्वारा प्रस्तुत वंदेमातरम् और डॉ ममता पंकज के संचालन में हुई। मुख्य वक्ता हिंदी सलाहकार समिति, विदेश मंत्रालय सदस्य डॉ. नीलम राठी ने अपने वक्तव्य में कहा कि साहित्य वही श्रेष्ठ है जो सांस्कृतिक जड़ों से जुड़कर समाज निर्माण की भूमिका को वरियता दे। साहित्य अतीत से प्रेरणा, वर्तमान का चित्रण और भविष्य का मार्गदर्शन करता है। विशिष्ट वक्ता रमा निगम, मंजुषा पटेल ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
समापन सत्र का संचालन डॉ रचना पांडेय ने किया जिसमें न्यास के केन्द्रीय अध्यक्ष सुजीत कुंतल ने अपने वक्तव्य में कहा कि साहित्य कि एक विशेष प्रवृत्ति है जिसके द्वारा वह मानव की गुणवत्ता बढ़ाता है। साहित्य शब्द सहायता से आया है जिसका अर्थ है एकता, संयोग तथा मिलजुल कर रहना। मुख्य अतिथि न्यास के केन्द्रीय संरक्षक डॉ. उमेश पालीवाल ने देश के विभिन्न प्रान्तों से पधारे साहित्यकारों को आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी सम्मान से सम्मानित किया और बधाई एवं शुभकामनाएं दीं। सम्मानित साहित्यकारों में डॉ. सुनीता सिंह ‘सुधा’ डॉ. गनेश कुमार सोनी, डॉ. कृष्णा आचार्य, डॉ. नागेन्द्र कुमार शर्मा, डॉ. अमित सिंह, संजय कुमार मिश्र ‘अणु’ डॉ. दिनकर त्रिपाठी, डॉ. मधुकर राव लारोकर, डॉ. सुनीता नारायणराव, अर्जुन सिंह ‘चांद’ दोलन राय, रचना निर्मल, डॉ. प्रत्यूष वत्सला, डॉ. पंकजवासिनी, डॉ. बीना बुदकी, योग रश्मि, डॉ. नीलम राठी, उमा विश्वकर्मा, सावित्री मिश्रा, डॉ. हेमा पाण्डेय, डॉ. श्रीकान्त शुक्ल, रमा निगम, राजकुमारी चौकसे ‘प्रेरणा’ मनीष शुक्ल, आदित्य प्रताप सिंह, विजय सिंह नाहटा, सीमा वर्णिका, बरेन सरकार, त्रिलोक फतेहपुर का नाम उल्लेखित है। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अनिता निगम द्वारा किया गया। न्यास के कृष्ण कुमार जिंदल, पूजा श्रीवास्तव, निवेदिता चतुर्वेदी, शैलेन्द्र श्रीवास्तव, डॉ. नरेन्द्र पांडेय, एस. के. मिश्रा आदि उपस्थित रहे।