*१-* तकती रही
चांद मैं तुझको
बन चकोर
*२-* प्रिय का अक्स
परिलक्षित होता
तुममें चांद
*३-* छू लूं तुझको
मैं हाथ बढ़ाकर
कहो! चांद मैं?
*४-* विशद निशा
उद्वेलित उदधि
बेकल चांद
*५-* भूखा बालक
है,दृष्टि चांद पर!
समझे रोटी
आर्यावर्ती सरोज “आर्या”
*लखनऊ (उत्तर प्रदेश)*
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