Sunday, May 19, 2024
साहित्य जगत

हाइकु (चांद)

*१-* तकती रही
चांद मैं तुझको
बन चकोर

*२-* प्रिय का अक्स
परिलक्षित होता
तुममें चांद

*३-* छू लूं तुझको
मैं हाथ बढ़ाकर
कहो! चांद मैं?

*४-* विशद निशा
उद्वेलित उदधि
बेकल चांद

*५-* भूखा बालक
है,दृष्टि चांद पर!
समझे रोटी

आर्यावर्ती सरोज “आर्या”
*लखनऊ (उत्तर प्रदेश)*