Sunday, May 19, 2024
साहित्य जगत

ना बिसरईयो ना,ना

ना बिसरईयो ना,नाबिसरईयो ना।
प्रेम की मारी प्रीत हमारी,हे मोहन घनश्याम।।

धुन में खोए तुम बंसी की-२
मै तेरी धुन में मेरे श्याम-२
ना बिसरईयो ना-२

झूठ ना जानो हे जगतारण -२
ये तन-मन तेरी प्रीत के कारण-२
बन गया पावन धाम-२
ना बिसरईयो ना-२

लागी ऐसी छूट सकेना-२
ये धन कोई लूट सकेना-२
छूटे चाहे प्राण-२
ना बिसरईयो ना-२

मुझ बिरही की प्रीत पिपासा-२
तुझसे ही आशा-प्रत्याशा-२
तृप्त करो भगवान-२
ना बिसरईयो ना-२

प्रेम की मारी प्रीत हमारी,
हे मोहन घनश्याम-२
ना बिसरईयो ना-२

आर्यावर्ती सरोज “आर्या”
लखनऊ (उत्तर प्रदेश)

जय श्री कृष्ण 🌹