Saturday, May 4, 2024
साहित्य जगत

मेरे घनश्याम

आस्था में डूबी

प्रति क्षण, प्रति पल
मैं!
तेरी आराध्या !
मुक्त मत करना
कभी,
मेरे श्याम!
यूं हीं,भजती रहूं
तेरा नाम।
जीवन की अभिलाषा नहीं,
बांसुरी बन, सजती रहूं
तेरे अधर पर,
बजती रहूं
सुबहो शाम।
लेकर बस तेरा नाम
मेरे मनमोहन!
मेरे घनश्याम!

आर्यावर्ती सरोज “आर्या”
लखनऊ (उत्तर प्रदेश)