Saturday, May 18, 2024
साहित्य जगत

ग़ज़ल

मोजज़ा अब देखिएगा संग पर
आँसुओं की चोट का होगा असर |
दूसरों का घर बसाने के लिए
ख़ुद को हमने कर लिया है दर बदर |
याद की पुरवाइयाँ चलने लगीं
और दामन हो गया अश्कों से तर |
ज़िंदगी लम्बी बहुत है छोड़ भी
सिर्फ़ तू वादा निभा ले रात भर |
दिल को दूँ झूठी तसल्ली कब तलक़
जी सकूँगा कैसे तुझको भूल कर |
बलबीत सिंह “बेनाम”
ज़िला हिसार(हरियाणा)