Friday, July 5, 2024
साहित्य जगत

गुरु हैं दर्पण ज्ञान का, साक्षर दिए बनाय

गुरु हैं दर्पण ज्ञान का, साक्षर दिए बनाय

गुरु हैं दर्पण ज्ञान का,
साक्षर दिए बनाय ।
जो गुरु से शिक्षा ग्रहण करें,
भविष्य में न पछताय।2

लिए दृढ़ संकल्प गुरु से ,
जिसका किए सम्मान।
जो गुरु को प्रभु मान लिया,
उसका भविष्य सफल हो जाए।2

गुरु हैं जो तप तपाते है,
बुझती दिये में लौ जलाते।
जहां तिमिर है घोर वहां पर,
शिक्षा रूपी प्रकाश फैलाते हैं।2

जग में है चलना सिखाते,
विपदा से लड़ना सिखाते हैं।
जो समता विषमता सीख लिया,
उसका भविष्य संवर जाएं।2

आशीष प्रताप साहनी
भीवा पार भानपुर बस्ती
उत्तर प्रदेश 272194
8652759126