Sunday, May 19, 2024
साहित्य जगत

मित्रता

हृदय से जो हो, मित्रता वही है
स्नेह से बढ़ के, सत्यता नहीं है

गम को खुशी दे, मित्रता वही है
खुशी के आँसू में, शत्रुता नहीं है

वियोग को योग दे, मित्रता वही है
मन को बहला दे, अपनत्व वही है

बिन वाणी समझे, मित्रता वही है
दिल जो पढ़ ले, सहजता वही है

यादों में जो झलके, मित्रता वही है
इशारों को समझे, कुशलता वही है

दूरी में भी जी ले, मित्रता वही है
वक़्त के संग मित्र, बदलता नहीं है

सरिता त्रिपाठी
लखनऊ, उत्तर प्रदेश