Saturday, May 18, 2024
साहित्य जगत

पुण्यतिथि पर याद किये गये जन कवि बालसोम गौतम

बस्ती । ‘ ये शाम और ये फूलों का मुरझाना देख उदासी क्यों, जब तय है होगी सुबह, खिलेंगे फूल हजारों नये-नये’ जैसी रचनाओं से समाज को संदेश देने वाले जन कवि बाल सोम गौतम को उनकी पांचवी पुण्य तिथि पर याद किया गया। बालसोम गौतम स्मृति संस्थान की ओर से शनिवार को प्रेस क्लब के सभागार में आयोजित कवि सम्मेलन एवं मुशायरे में कवि, शायरों ने बालसोम गौतम के साहित्यिक योगदान पर विमर्श किया।

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मुख्य अतिथि आयुष चिकित्साधिकारी एवं साहित्यकार डा. वी.के. वर्मा ने कहा कि बालसोम गौतम का रचना संसार विविधता लिये हुये हैं। वे अपने समय के सशक्त हस्ताक्षर थे, उनकी कवितायेें हमें संकट में साहस देती है। अध्यक्षता करते हुये कमलापति पाण्डेय ने कहा कि बाल सोम गौतम को याद करना इतिहास के कई बिन्दुओं को खंगालने जैसा है। वे स्वयं में अप्रतिम कवि थे। संचालन करते हुये वरिष्ठ कवि डा. रामकृष्ण लाल जगमग ने बालसोम गौतम से जुड़े अनेक प्रसंगोें, अनुभवों को साझा किया। उनकी कविता ‘ जो भी हो पर सत्य कहूंगा, झरना जैसा सदा बहूंगा, इन्ही किताबों के बल पर मैं, मरने पर भी अमर रहूंगा’ को श्रोताओं ने सराहा।
कविसम्मेलन, मुशायरे में पं. चन्द्रबली मिश्र, विनोद उपाध्याय, सत्येन्द्रनाथ मतवाला, राममणि शुक्ल, सागर गोरखपुरी, रहमान अली रहमान, अफजल हुसेन अफजल आदि की रचनायें सराही गई। बाल सोम गौतम के अधिवक्ता पुत्र सिद्धार्थ गौतम ने अपने पिता की रचनाओं को सुनाकर मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम में शान्तनु सिंह, विभोर मिश्र, चन्द्र प्रकाश शर्मा, हनुमत प्रसाद शुक्ल, महेन्द्र उपाध्याय आदि शामिल रहे।