Monday, January 20, 2025
साहित्य जगत

उम्र की पगडंडियों पर….

उम्र की पगडंडियों पर
गिरते-उठते
चलते- सम्भलते
जीवन के पड़ावों को
पार कर ही जाएंगे
गर तुम साथ हो,
उबड़-खाबड़ रस्ते पर
दिन के उधड़नो को
रिश्तों के पैबनों को
सिलते ही जाएंगे
गर तुम साथ हो,
अपनी नाकामियों पर
हौसलों के पंख लगा
ख्वाबों के आसमां में
उड़ते ही जाएंगे
गर तुम साथ हो,
चारों पहर, आठों याम
लेकर तेरा नाम
यूं हर पैगाम हम
देते जाएंगे……
गर तुम साथ हो।।
आर्यावर्ती सरोज “आर्या”
लखनऊ (उत्तर प्रदेश)