Sunday, May 5, 2024
साहित्य जगत

सच्चा मित्र

*सच्चा मित्र*

मन पावन- पवित्र हो, सम्बन्धों में घुला इत्र हो।
सुख -दुःख में जो साथ हो वही सच्चा मित्र हो।।

दिल में कुछ जज्बात हो, तन्हाई में भीसाथ हो।
दिल में उसका वास हो,वो ही सबसे खास हो।

दूर हो या पास हो, दिन हो या रात हो।
हर पल वो साथ हो,मन के आस पास हो।

कृष्ण सुदामा सा विचित्र हो,
कुछ ऐसा उसका चरित्र हो।
हृदय में छपित जो चित्र हो,
हां ! वही सच्चा मित्र हो।।

 

आर्यावर्ती सरोज “आर्या”

लखनऊ ( उत्तर प्रदेश)