अब तो लगता मिलेगी नही…..
अब तो लगता मिलेगी नही खुशी की छाँव।
सायॅ सायॅ अब कर रहा सचमुच मेरा गाँव।
गाँवों में भी बिछ गया कोरोना का जाल।
नर नारी बच्चे सभी लगते हैं बेहाल।
जो आये हैं गाँव में शहरों से मजदूर।
उनके सपने हो गये ’’वर्मा’’ चकनाचूर।
गोरी करती थी सदा जिस यौवन पर नाज।
वह कोरोना – ताप से झुलस रही है आज।
कोरोना के विरूद्ध तुम स्वर को करो बुलन्द।
जिससे यह इस गाँव से करें पलायन जल्द।
डॉ. वी.के. वर्मा
चिकित्साधिकारी
जिला चिकित्सालय बस्ती