ग़ज़ल
अब तुम्हारे लिए दिल मे चाहत नही ।
मुझसे कहने लगे वो मुहब्ब्त नही ।।
जब मुझे वो मिले जिंदगी मिल गई,
प्यार के बाग की हर कली खिल गई।
हम भी चलते रहे साथ उनके मगर,
क्या पता था कि थम जाएगा ये सफ़र।
हां मुझे उनसे कोई शिकायत नही,
मुझसे कहने लगे वो मुहब्बत नही।।
उम्र भर हम उन्हें प्यार करते रहे,
बाज़ुओं में उन्ही के संवरते रहे।
साथ दो पल रहे फिर जुदा हो गए,
बावफ़ा थे मगर बेवफ़ा हो गए।
मेरे दिल को ज़रा सी भी राहत नही।
मुझसे कहने लगे वो मुहब्बत नही ।।
हाल दिल का उन्हें कैसे समझाऊँ मैं,
रास्ते गुम गए अब किधर जाऊं मैं।
सारे खारे समंदर गटकती रही,
प्रेम कस्तूरियों को भटकती रही।
अर्घ्य अश्को क्या अब इबादत नही।
मुझसे कहने लगे वो मुहब्बत नही।।
कोमल गुप्ता
रायबरेली(उत्तर प्रदेश)