Monday, May 6, 2024
संपादकीय

शिक्षा क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव के लिए याद किया जायेगा साल 2020

संपादकीय । साल 2020 अब खत्म होने वाला है। यह साल कोरोना महामारी और उसकी भयावहता के लिए तो याद किया ही जाएगा लेकिन उसके साथ ही शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में तकनीकी के व्यापक प्रयोग (या उनकी वास्तविक स्थिति को उजागर करने के लिए) की शुरुआत के लिए भी याद रखा जायेगा। मार्च के महीने से देश में स्कूल बंद हुए थे और अभी भी सभी के लिये स्कूल नहीं खुले हैं। अप्रैल-मई के महीने में दुनिया के 183 देशों में स्कूल बंद हुए थे। चूँकि कोरोना के गम्भीर खतरे का पूर्वानुमान नहीं था और इस आपदा से जूझने की तैयारी नहीं थी तो शिक्षा-क्रम को ज़ारी रखने के लिए सरकारों के द्वारा दीक्षा पोर्टल, स्कूल टीवी, व्हाट्सप्प, यूट्यूब और ऑनलाइन माध्यमों की मदद से पढ़ाने की कोशिश हुई। शिक्षक-छात्र दोनों के लिए अपनी तकनीकी चुनौतियाँ रहीं। मध्यम और बड़े निजी स्कूल तो अपने छात्रों के लिए ऑनलाइन कक्षाएं चलाने लगे लेकिन अनेक छोटे स्कूल बंद हो गए और कई जगह निजी स्कूल के अध्यापकों की नौकरी चली गई। बहुमत के परिवारों में ऑनलाइन कक्षा के लिए लड़कियों के मुकाबले लड़कों को प्राथमिकता मिली है। परिवार में आर्थिक चुनौती बढ़ने की दशा में लड़कियों के स्कूल छोड़ने का खतरा और बढ़ गया है।

ग्रामीण और शहर, दोनों इलाकों में स्कूल छह महीने तक तो बंद ही रहे। जहाँ शिक्षा-क्रम को जारी रखने के लिए डेटा और मोबाइल /लैपटॉप की ज़रूरत थी वहां बड़ी संख्या में छात्र, कक्षाओं से अनुपस्थित रहे हैं। अभिभावकों के सपरिवार शहर से गांव वापसी से भी कुछ छात्रों के स्कूल छूटने का खतरा है। देश में स्कूल स्तर पर नामांकन 97 प्रतिशत से अधिक रहा है लेकिन अब कोरोना के कारण स्कूल से बाहर हुए छात्रों की गिनती ज़रूरी है। इसके लिए, एक व्यापक सर्वेक्षण की ज़रूरत होगी।

ऑनलाइन पद्धति ने ज़ूम, गूगल क्लासरूम, माइक्रोसॉफ़्ट टीम जैसे सॉफ्टवेयर को घरों तक पहुंचा दिया। 18 मार्च 2020 को ही तीन लाख से अधिक लोगों ने ज़ूम एप्प डाउनलोड किया था। घर से काम करना अब सामान्य बात होने लगी है। दुनिया के बड़े शहरों- न्यूयॉर्क और लंदन में भीड़ कम हुई है। स्कूल से लेकर विश्वविद्यालय तक में अब छात्र अपने घरों में हैं और शिक्षक, तकनीक की मदद से उनके पास पहुँच रहे हैं। पढ़ाने का ढ़ंग, परीक्षा और मूल्यांकन का तरीका सब बदला है। मैंने स्वयं पहली बार, ऑनलाइन पढ़ाया, वेबिनार किया, छात्रों से असाइनमेंट ऑनलाइन लिया और उस पर टिप्पणी भी ऑनलाइन दी!

इसी दौर में कुछ नवाचार भी हुए हैं। शिक्षकों ने मोबाइल के स्पीकर की मदद से छात्रों के समूह को पढ़ाया है। इसी दौर में ई-फॉर्मा और ई-अस्पताल की शुरुआत हुई है अब ई-स्कूल और ई-कॉलेज की बारी है। इसी वर्ष राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भी घोषित हुई लेकिन उसमें आपदा के दौर में शिक्षा को विशेष स्थान नहीं मिला। इसी वर्ष, महाराष्ट्र में सोलापुर के प्राथमिक स्कूल के शिक्षक रंजीत दुशाले को स्कूली शिक्षा में उनके QR कोड के नवाचार के साथ विज्ञान शिक्षण में महत्वपूर्ण योगदान के लिए ग्लोबल शिक्षक एवार्ड दिया गया। अब QR कोड सभी राज्यों की पाठ्यपुस्तकों में इस्तेमाल हो रहा है। इस पुरस्कार की राशि, एक मिलियन डॉलर (सात करोड़ रूपए से अधिक) है लेकिन रंजीत ने आधी पुरस्कार राशि अंतिम दौर के लिए चयनित अन्य नौ प्रतिभागियों में बांटने का निर्णय लिया है।

अभी सत्र 2020-2021 की दसवीं-बारहवीं की बोर्ड परीक्षा को लेकर स्थिति साफ़ नहीं है। उनकी तिथि और परीक्षा के तरीके को लेकर असमंजस बना हुआ है। कुछ अभिभावक परीक्षा को तीन महीने आगे बढ़ाने की मांग कर रहे हैं तो कुछ दसवीं के लिए आंतरिक मूल्यांकन को जायज़ ठहरा रहे हैं। इस महीने के अंत तक परीक्षा की स्थिति साफ़ होने का अनुमान है। इस तरह 2020, महामारी जनित चुनौतियों के साथ शिक्षा में महत्वपूर्ण बदलाव के लिए याद किया जायेगा।