Monday, May 6, 2024
संपादकीय

साइबर अपराधियों से बचने का कारगर उपाय

संपादकीय । अपराध की दुनिया में अब साइबर अपराधियों का दबदबा बढ़ता जा रहा है। इंटरनेट के बढ़ते उपयोग के चलते साइबर अपराधी लोगों को आसानी से अपना शिकार बनाने में सफल हो रहे हैं। देश में साइबर बुलिंग के मामलों में दिन-प्रतिदिन बढ़ोतरी हो रही है। दिल्ली पुलिस के ही आंकड़े देखें तो पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में इस साल दस फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। यह स्थिति तो केवल दर्ज मामलों की है। इनसे कई गुणा मामले तो ऐसे हैं जो किसी ना किसी कारण से पुलिस तक पहुंचते ही नहीं हैं। यह केवल दिल्ली की ही स्थिति नहीं है अपितु समूचे देश की है। कोरोना के चलते इंटरनेट का उपयोग बढ़ने के साथ ही साइबर अपराधियों का आतंक और अधिक बढ़ने लगा है। दरअसल इंटरनेट के माध्यम से उपयोग होने वाले माध्यम खासतौर से सोशल मीडिया माध्यमों पर साइबर अपराधी अधिक सक्रिय हैं। ई−मेल, फेसबुक, वाट्सएप, इंस्टाग्राम, टि्वटर पर साइबर अपराधी अति सक्रिय हैं। साइबर अपराधियों के लिए बच्चे सॉफ्ट टारगेट हैं और लालची, डरपोक किस्म के लोग भी इनके झांसे में जल्दी आ जाते हैं।

साइबर बुलिंग का सीधा-सा मतलब है ई−मेल, फेसबुक, वाट्सएप, इंस्टाग्राम, टि्वटर आदि पर संपर्क साध कर धमकाने, ब्लैकमेल करने, गाली गलौज करने, मानसिक रूप से प्रताड़ित करके अपराधी अपना हित साधते हैं। लोगों को लॉटरी आदि का लालच देकर, अश्लील फोटो डालने या सार्वजनिक करने की धमकी देकर, ब्लैकमेल कर रुपए ऐंठने से लेकर मानसिक तौर पर परेशान करने तक के सारे हथकंड़े अपनाये जाते हैं। साइबर अपराधी ई−मेल, फेसबुक, वाट्सएप, इंस्टाग्राम टि्वटर आदि पर संदेश भेजकर, संपर्क बनाकर गोपनीय जानकारी प्राप्त करते हैं और फिर उसका उपयोग संबंधित के खिलाफ ही करते हैं। चूंकि कोरोना काल में ऑनलाइन कक्षाएं ही चल रही हैं इसलिए बच्चों के बीच इंटरनेट का उपयोग बढ़ा है। ऐसे में साइबर अपराधी बच्चों को आसानी से निशाना बना रहे हैं। उनसे परिवार, माता−पिता आदि की जानकारी प्राप्त कर फिर उन्हें डरा धमका कर तनाव में ला रहे हैं। इसी तरह से हनी ट्रैप के मामले भी इसी तरह से संचालित हो रहे हैं। लोगों को लॉटरी का भय दिखाकर, इंश्योरेंस पॉलिसी में अधिक बोनस दिलाने, कहीं से पैसा आने और उस राशि को आपके खाते में डालने का झांसा देकर खाते की जानकारी लेकर ठगना तो आम है। इसी तरह से महिलाओं−युवतियों के अश्लील फोटो सोशल साइट्स पर सार्वजनिक करने की धमकी देकर ब्लैकमेल करना आम होता जा रहा है। इसी तरह से आपके एटीएम कार्ड की वैधता खत्म होने या उसे रिन्यू करने या उससे लेन−देन की राशि को बढ़ाने, अपग्रेड करने का झांसा देकर नंबर प्राप्त कर खाते से पैसे उड़ाना आम होता जा रहा है।

दरअसल साइबर अपराधी इंटरनेट व कम्प्यूटर की दुनिया के अच्छे जानकार होते हैं। ये आपकी मेल को हैक कर, सोशल मीडिया पर आपके नाम से गलत व भ्रामक सूचना अपलोड कर ठगी करने आदि में भी एक्सपर्ट होते हैं। लोग इनके झांसे में आसानी से आ जाते हैं। हालांकि बैंकों, इंश्योंरेस कमंनियों आदि द्वारा बार-बार समझाया जाता है कि बैंक किसी से मोबाइल, वाट्सएप आदि पर किसी तरह की जानकारी नहीं लेते, इसी तरह से बार-बार कहा जाता है कि अनजानी साइट पर जाने, अनजाने लिंक को ओपन करने से जितना बचा जाए वही सबसे बड़ी सुरक्षा है। कभी भी सोशल साइट्स और ईमेल पर अनजाने लोगों को व्यक्तिगत जानकारी साझा नहीं करें। यहां तक कि सोशल साइट्स पर जानकारों से भी जानकारी साझा करते समय सावधानी बरतना आवश्यक है। दूसरी बात थोड़े से लालच में अपनी कड़ी मेहनत से कमाई पूंजी को लुटाने का कोई मतलब नहीं है। जब आपने लॉटरी ली ही नहीं तो आपकी लॉटरी कहां से निकलेगी। जब आपको कोई जानता ही नहीं तो लॉटरी के लिए आपका ही चयन क्यों करेगा। जब आप किसी को जानते ही नहीं तो वह आपके खाते में राशि क्यों ट्रांसफर करवाएगा, इसी तरह से जब कोई आपको जानता ही नहीं तो आपके साथ साझा कारोबार क्यों करेगा, यह सब समझने की बात है। हमारे लालच या भय के कारण इन्हें प्रोत्साहन मिलता है और यह इसका गलत फायदा उठाते हैं।

होना तो यह चाहिए कि जब इस तरह की कोई घटना आपके साथ हो रही हो तो तत्काल पुलिस की सहायता लेनी चाहिए। डरना या ब्लैकमेल से तनाव में आना इसका निदान नहीं है। दूसरी ओर यह समझना चाहिए कि जो आपको ब्लैकमेल कर ठग रहा है उसके लालच का कोई अंत नहीं है ऐसे में बिना किसी सामाजिक भय के खुलकर सामने आते हुए पुलिस का सहयोग लेने में नहीं हिचकिचाना चाहिए। इस तरह की घटना होने लगे तो पुलिस के साइबर थाने में या अपने निकट के थाने में पुलिस से संपर्क साध कर जानकारी देनी चाहिए। बच्चों और महिलाओं को भी सजग करते हुए उन्हें साइबर अपराधियों की गिरफ्त में आने से बचाने के लिए सजग करना चाहिए। साइबर अपराधियों के चंगुल में आ भी जाएं तो हताश होने के स्थान पर पुलिस का सहयोग लेने में किसी तरह का संकोच नहीं करना चाहिए। नहीं तो साइबर अपराधियों के हौसले बढ़ते ही जाते हैं। बच्चों व महिलाओं को भी साइबर अपराधियों की संभावित गतिविधियों के बारे में सजग करना होगा ताकि वे किसी तरह की जानकारी साझा नहीं करें वहीं भयभीत ना होकर इस तरह की घटना होने की स्थिति में तत्काल जानकारी देने का साहस जुटा सकें। नए जमाने के इन साइबर अपराधियों से बचने के लिए हमें ही अधिक सजग और सशक्त होना होगा।