Wednesday, July 3, 2024
साहित्य जगत

गजल

सबकी नज़रों में मान हो मेरा
सबके दिल में मकान हो मेरा

मेरे मौला करम तू इतना कर
आसमां तक उड़ान हो मेरा

काम ऐसा मैं कोई कर जाऊँ
जग में कोई निशान हो मेरा

शख़्सियत और कुछ निखर जाये
हर घड़ी इम्तिहान हो मेरा

चाशनी हो घुली जबाँ में मेरे
स्वर मुरली की तान हो मेरा

आँख में मैं किसी के बस जाऊँ
कोई इक कद्रदान हो मेरा

मेरे मालिक सँभाल लेना तू
जब भी सागर ढलान हो मेरा

वीपी श्रीवास्तव
(सागर गोरखपुरी)
बस्ती उत्तर प्रदेश