गजल
सबकी नज़रों में मान हो मेरा
सबके दिल में मकान हो मेरा
मेरे मौला करम तू इतना कर
आसमां तक उड़ान हो मेरा
काम ऐसा मैं कोई कर जाऊँ
जग में कोई निशान हो मेरा
शख़्सियत और कुछ निखर जाये
हर घड़ी इम्तिहान हो मेरा
चाशनी हो घुली जबाँ में मेरे
स्वर मुरली की तान हो मेरा
आँख में मैं किसी के बस जाऊँ
कोई इक कद्रदान हो मेरा
मेरे मालिक सँभाल लेना तू
जब भी सागर ढलान हो मेरा
वीपी श्रीवास्तव
(सागर गोरखपुरी)
बस्ती उत्तर प्रदेश