Saturday, June 29, 2024
गोरखपुर मण्डल

अति क्षीर्ण संक्रामक रोग है कुष्ठ, दवा सेवन करने वालों से संक्रमण का खतरा नहीं-सीएमओ

गोरखपुर, कुष्ठ रोग एक अति क्षीर्ण स्तर का संक्रामक रोग है । मल्टी ड्रग थेरिपी (एमटीडी) दवा का नियमित सेवन करने वाले कुष्ठ रोगी के साथ रहने से इसका संक्रमण नहीं होता है । एमटीडी खाने वाला व्यक्ति घर, परिवार और समाज के बीच सामान्य रूप से रह सकता है और उससे कुष्ठ फैलने का खतरा नहीं है । यह अपील मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने की है । उन्होंने बताया कि जिले में 21 दिसम्बर से शुरू हुआ कुष्ठ रोगी खोजी अभियान चार जनवरी तक चलेगा । अगर किसी को भी कुष्ठ के लक्षण नजर आए तो जांच करवा कर शीघ्र इलाज शुरू करवाना चाहिए । इससे इसके संक्रमण को रोकने के साथ साथ कुष्ठ के गंभीर प्रभावों से बचा जा सकता है ।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि प्रारंभिक अवस्था में ही कुष्ठ के लक्षणों की पहचान कर उपचार किया जाए तो इससे होने वाली विकृति और दिव्यांगता को रोका जा सकता है । अगर किसी के शरीर पर सुन्न दाग धब्बे हों जिनका रंग उसके चमड़ी के रंग से हल्का हो तो यह कुष्ठ रोग भी हो सकता है । जब इन दाग धब्बों की संख्या पांच या पांच से कम हो और कोई एक नस प्रभावित हुई हो तो मरीज को पासी बेसिलाई (पीबी) कुष्ठ रोगी कहा जाता है। ऐसा मरीज छह माह के इलाज में ठीक हो जाता है । वहीं जब दाग धब्बों की संख्या पांच से अधिक होती है और दो या अधिक नसें प्रभावित हों तो मरीज को मल्टी बेसिलाई (एमबी) कुष्ठ रोगी कहा जाता है । ऐसे मरीज का इलाज एक साल तक चलता है। इन मरीजों को खोजने और इलाज देने के लिए स्वास्थ्यकर्मियों की टीम अभियान के दौरान घर घर भ्रमण कर रही हैं ।

डॉ दूबे ने बताया कि समाज में 95 से 99 फीसदी लोगों के भीतर कुष्ठ रोग के जीवाणुओं से लड़ने की क्षमता होती है इसलिए शरीर में जीवाणु प्रवेश करने के बावजूद उन्हें कुष्ठ का खतरा नहीं होता। जिन एक से पांच फीसदी लोगों में रोगों से लड़ने की क्षमता कम होती है उन्हें ही कुष्ठ रोग की आशंका अधिक होती है। कुष्ठ रोग के जीवाणु शरीर के नाड़ियों, चमड़ी व अन्य अंगों को प्रभावित करते हैं। यह रोग न तो अनुवांशिक है और न ही पूर्व जन्म के पाप का फल है । एमडीटी की एक खुराक के साथ ही मरीज से संक्रमण का खतरा हट जाता है ।

*इन लक्षणों पर कराएं जांच*

• चमड़ी पर दाग, चकत्ते या सुन्नपन
• शरीर के किसी भी हिस्से में ऐसा दाग या चकत्ता जिससे पसीना न आता हो
• हाथ व पैर की नसों में मोटापन, सूजन तथा झनझनाहट
• हाथ व पैर के तलवे में सुन्नपन
• चेहरा, शरीर या कान पर गांठ
• हाथ व पैर की उंगली में टेढ़ापन

*दस लाख लोगों की हुई स्क्रिनिंग*

जिला कुष्ठ रोग अधिकारी डॉ गणेश यादव ने बताया कि जिले में 53.28 लाख लोगों की कुष्ठ के लिए स्क्रीनिंग का लक्ष्य है जिसमें से 10.94 लाख लोगों की स्क्रीनिंग हो चुकी है। स्क्रीनिंग के बाद करीब 4335 संभावित कुष्ठ रोगी मिले हैं जिनकी जांच कराई जा रही है । जिला कुष्ठ रोग परामर्शदाता डॉ भोला गुप्ता की देखरेख में नये पुष्ट कुष्ठ रोगियों को एमडीटी की सेवा दी जाएगी। कुष्ठ का इलाज सभी ब्लॉक स्तरीय अस्पतालों पर उपलब्ध है।