Saturday, May 18, 2024
बस्ती मण्डल

बिजनेस मैन कमरुद्दीन पर हुई रुपए लेनदेन की F.I.R. में सच की हुई जीत, हाईकोर्ट का चला हंटर, मिला मिडिएशन स्टे

बस्ती। व्यापारी कमरुद्दीन जलाउद्दीन के ऊपर रुपए लेनदेन को लेकर दर्ज हुई पुरानी बस्ती और वाल्टर गंज थाने में एफआईआर पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इसके बाद बस्ती पुलिस की कार्यशैली पर ही अब सवाल खड़े होने लगे हैं। वादी द्वारा दिए गए शिकायती पत्र में जितने पैसे के लेनदेन की बात लिखी गई पुलिस ने बिना किसी ठोस प्रमाण के ही प्रभाव में आकर केस दर्ज कर लिया।

एफआईआर दर्ज होने के बाद प्रतिवादी कमरुद्दीन हाईकोर्ट इलाहाबाद में एफआईआर क्वेसिंग के लिए अपील करने पहुंचे, जिस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने वादी से लेनदेन का ब्योरा मांगा। किन्तु वादी और उनके वकील जज के सामने एफआईआर में लिखे गए पैसों के लेनदेन का कोई ठोस सबूत नहीं दे सके जिस पर कोर्ट ने फैसला देते हुए पुलिस से जांच छीन लिया और इस प्रकरण की जांच के लिए मिडिएशन सेंटर को नामित किया है,। कोर्ट ने कहा कि दोनो पक्ष अब हाई कोर्ट के मिडिशियन सेंटर में आयेंगे जहां कोर्ट के माध्यम से समझौते का प्रयास किया जायेगा।

हाई कोर्ट के इस आदेश के बाद दोनो थानों और वादी को बड़ा धक्का लगा और एक प्रतिष्ठित व्यापारी कमरुद्दीन को जानबूझकर पुलिस से मिलकर बदनाम करने की मंशा भी उजागर हो गई। गौरतलब है कि राजस्थान के भीलवाड़ा के रहने वाले व्यापारी अजय कुमार मालू और सुरेंद्र सिंह राठौड़ ने लखनऊ के बिजनेस मैन कमरुद्दीन पर बस्ती की बंद पड़ी दो शुगर मिलों के स्क्रैप को बेचने के नाम पर 1.21 करोड़ और 1.26 करोड़ रुपए लेने का आरोप लगाया और आला अधिकारियों से मिलकर वाल्टर गंज थाने व पुरानी बस्ती थाने में कमरुद्दीन पर मुकदमा दर्ज करवा दिया।

इस मामले में पुलिस ने बैंकिंग डॉक्यूमेंट की जांच किए बिना ही प्रथम सूचना रिपोर्ट लिख ली जिसकी जानकारी होने पर कमरुद्दीन को बड़ा धक्का लगा और वे हाईकोर्ट की शरण में पहुंचे, जहां से उन्हे बड़ी राहत मिली है। कांर्ट ने पुलिस से जांच वापस लेते हुए दोनो पक्षों को समझौते के लिए मिडिएशन सेंटर को नामित कर दिया। सम्बन्धित एफआईआर से बस्ती पुलिस की कार्यशैली भी उजागर हुई है, आखिर पुलिस ने कैसे उस अमाउंट को आधार समझकर एफआईआर लिखा जिसका वादी के द्वारा कोई प्रमाण ही नही था, वो भी एक ही प्रकरण में दो अलग अलग थानों में दो एफआईआर दर्ज कर ली गई।

दोनो एफआईआर में पुलिस ने दर्शाए गए रुपए के प्रमाण नहीं चेक किए, और एक कोरे पन्ने पर हुई शिकायत पर प्रभाव में आकर मुकदमा दर्ज कर लिया। एफआईआर के बाद बिजनेस मैन कमरुद्दीन की काफी बदनामी हुई, दोनो वादी से कमरुद्दीन का बिजनेस लेनदेन होता रहता था, व्यापारी कमरुद्दीन ने बताया कि उनका और अजय मालू वा सुरेंद्र सिंह से काफी साल से व्यापारिक लेनदेन है, मगर इस लेनदेन को दूसरा मोड़ देते हुए किसी शुगर मिल से जोड़ना बेहद ही गलत है और उन्होंने ऐसा कुछ नही किया था जितना उन्हे पुलिस ने दोषी बन दिया।

लाखो के लेनदेन को करोड़ो में बताकर फर्जी एफआईआर उन पर लिख दी गई और पुलिस ने भी उनका पक्ष नही सुना। वे हाईकोर्ट से गुहार लगाने पहुंचे और अब सच की जीत हुई। कमरुद्दीन ने बताया कि फर्जी एमओयू बनाकर पुलिस से मिलकर ये एफआईआर लिखी गई ताकि उनका शोषण किया जा सके, खैर अब उन्हें हाईकोर्ट पर पूरा भरोसा है और मिडिएशन स्टे के बाद आगे वो जो भी निर्णय लेगा उसका वे स्वागत करेंगे। बिजनेस मैन कमुलरुद्दीन जलालुद्दीन बस्ती जनपद के पैकोलिया थाना क्षेत्र के पेडरिया गांव के रहने वाले है और उनकी प्राथमिक शिक्षा दीक्षा बस्ती में हुई।

फिर वे आईआईएम से एमबीए करने बैंगलोर चले गए, एमबीए करने के बाद व्यापार की दुनिया में कदम रखा और लगातार वे इस दिशा में आगे बढ़ रहे है। कमरुद्दीन ने बताया कि उन्होंने बस्ती जनपद के युवाओं और बेरोजगारों के लिए कुछ करने की सोची और बंद पड़ी वाल्टर गंज व बस्ती शुगर मिल को चलाने की कवायद शुरू की जिसके लिए उन्होंने बजाज ग्रुप से बात भी किया, बजाज ग्रुप के बड़े अधिकारियों से उनकी दिल्ली में कई बार मुलाकात भी हो चुकी है।

मिल को खरीदने के लिए लगातार उनकी बजाज ग्रुप से वार्ता हो रही है और उन्हें उम्मीद है जल्द ही ये बातचीत किसी नतीजे पर पहुंचेगी और दोनो मिलो को खरीदकर वे उसे फिर से चला सकेंगे और इलाके के किसानों युवाओं व बेरोजगारों के लिए एक जरिया बनेंगे जो उनके जीवन में खुशियां लेकर आयेगा। उनका यह कदम कुछ लोगो को अच्छा नहीं लगा और वे साजिश के तहत उन्हें फंसाने के लिए उनके ही साथी व्यापारियों को मोहरा बनाया। कमरुद्दीन ने कहा कि वे इन सब चीजों से डरने वाले नही है और उन्हें खुद पर भरोसा है कि जनपद के लिए वे जरूर कुछ करके दिखाएंगे।