सरकार चाहे किसी की हो, खलीलाबाद में किंगमेकर तो जय चौबे ही होंगे
संतकबीनगर । नगर पालिका परिषद खलीलाबाद के चुनाव हुए – इस चुनाव में विपक्षी राजनैतिक दल भाजपा के प्रत्याशी से लेकर सभी पदाधिकारी तथा विपक्षी एक ही बात की रट लगाए हुए थे कि जय चौबे ने खलीलाबाद नगर पालिका के विकास में अडंगा लगा दिया था। इसीलिए इस क्षेत्र का विकास नहीं हो पाया। इस बार विकास का मौका दें, हम जिले में तीसरा इंजन लगाकर विकास करेंगे। इन सारी चीजों के बावजूद जब पूर्व विधायक दिग्विजय नारायण चतुर्वेदी उर्फ जय चौबे अपने प्रत्याशी जगत जायसवाल के पक्ष में वोट मांगने के लिए नगर के लोगों के बीच निकले तो जनता ने खुले दिल के साथ उनका स्वागत किया। नगर पालिका परिषद खलीलाबाद से उनके प्रत्याशी जगत जायसवाल को वह ऐतिहासिक जनादेश दिया जो आगे कई वर्षों तक याद रखा जाएगा।
नगर पालिका परिषद खलीलाबाद के चुनाव में जय चौबे तकरीबन साल भर के बाद गोलाबाजार में पहुंचे थे। इस दौरान वहां के व्यापारियों ने उन्हें हाथों हाथ लिया। जिसके यहां भी गए उसने न सिर्फ उनका स्वागत किया, बल्कि उनके प्रत्याशी को जनादेश देने का विश्वास भी दिया। आसपास के 16 गांवों के लोगों ने भी जय चौबे को हाथों हाथ लिया। जय चौबे का क्षेत्र में निकलना ही जगत की जीत पर अंतिम मुहर हो गयी। लोगों का उत्साह देखकर ऐसा लग रहा था कि मानों उनके यहां हर सुख दुख में साथ रहने वाला उनका नेता आ गया है। जगत की जीत के लिए उन्होंने अपने उपर लगाए गए आरोपों की सफाई नहीं दी, बल्कि एक कुशल राजनेता की तरह बेहतर व्यूह रचना की। कौन प्रचार के लिए कहां जाएगा, किसको कहां नहीं जाना है, यह सब कुछ वही तय करते थे। स्थिति तो यह थी कि जब विपक्षियों ने साजिश रचकर जगत जायसवाल के अन्तिम दिन के जुलूस को प्रशासन से अनुमति नहीं मिलने दी, तो जय चौबे खुद आगे आए। इसके बाद उन्होने 300 चार पहिया वाहनों का काफिला ही पूरे नगर पालिका क्षेत्र में निकाल दिया। स्थिति यह थी कि प्रशासन देखता ही रह गया। किसी भी अधिकारी की हिम्मत नहीं थी कि जुलूस को रोक देता। प्रत्याशी को भी इस बात का मलाल नहीं रह गया कि उसका अन्तिम दिन का जुलूस नहीं निकला। इस जुलूस के निकलने के बाद ही जय चौबे ने घोषणा कर दी कि प्रशासन ने उनके पैदल जुलूस को इजाजत नहीं दी थी लेकिन आज हम यह घोषणा करते हैं कि विजय जुलूस उनके प्रत्याशी जगत जायसवाल का ही निकलेगा, किसी और का नहीं। इसके बाद धनबली प्रत्याशियों के द्वारा प्रलोभन देकर वोट खरीदने की साजिश भी की गयी। लेकिन जय चौबे ने इस दिन भी इस तरह की व्यूह रचना की और हर चौराहे और गांव में अपने समर्पित लोगों को लगाया कि धन धरा का धरा रह गया। विपक्षी धन बांटने के लिए नहीं निकल पाए। मतगणना के दिन भी हर मतगणना टेबल पर ऐसे धुरंधर लोगों को एजेंट बनवाया था कि किसी भी दशा में अगर प्रशासन घालमेल करके सत्ताधारी पार्टी के प्रत्याशी को जिताने का प्रयास करे तो उसके प्रयासों को विफल कर दिया जाय। पहले चक्र की मतगणना के दौरान एक वोट इनवैलिड होने के बाद एजेंटों ने ऐसा कड़ा प्रतिरोध दर्ज किया कि प्रशासन के हाथ पांव फूल गए। प्रत्याशी जगत जायसवाल 14 हजार से अधिक मतों से विजयी हुए।
कुल मिलाकर देखा जाय तो जिस तरह से उन्होने जिला पंचायत चुनाव में किंगमेकर की भूमिका निभाई थी, उसी तरह से उन्होने नगर पालिका परिषद के चुनाव में भी अपनी इस भूमिका का निर्वहन किया है। इस चुनाव के बाद जय चौबे का कद लोगों के बीच में और बढ़ा है। लोग कह रहे हैं कि भालचन्द यादव के बाद जिले में अगर कोई जमीनी नेता है तो वह जय चौबे ही हैं, अन्य कोई नहीं।
जय आज भी जिले के लोगों के लिए सर्वमान्य नेता हैं। इसके पीछे कारण यह है कि जय पिछले 25 सालों से सक्रिय राजनीति में हैं, लेकिन उनके उपर कोई दाग नहीं है। जय ने हमेशा गरीबों मजलूमों, कार्यकर्ताओं की लड़ाई लड़ने का काम किया है । कार्यकर्ता सम्मान उनके लिए सबसे उपर रहा है । इतनी पद, प्रतिष्ठा, सम्मान, प्रभुता के बाद भी उनके अन्दर कभी मद आया ही नहीं। बाहुबल के बावजूद किसी का दिल जय ने नहीं दुखाया है। यही चीजें जय को जिले के और राजनैतिक लोगों से अलग करती हैं। नतीजतन आज जनता ने खुद उनको किंगमेकर की उपाधि दे दी है।