Monday, May 20, 2024
लोकसभा चुनाव 2024

समाजवाद के 40 साल बनाम जुगाड़ वाद

क्या खोया क्या पाया——-विचारणीय
यह बात हर उस कार्यकर्ता के दिल की जो पार्टी के प्रति अपनी निष्ठा और ईमानदारी के प्रति वफादारी को लेकर अपना पूरा जीवन न्योछावर कर देता है कुछ तो ऐसे जिनकी दूसरी पीढ़ी भी पार्टी की सेवा कर रहे हैं पर नेता चुनाव में लंबे लंबे भाषण के माध्यम से अपने कार्यकर्ताओं में ऊर्जा तो खूब भरते हैं लेकिन जब उनके हक की बात आती है धन बल बाहुबली और जुगाड़ वाले स्काईलैब नेताओं की तरफ उनका ध्यान अग्रसर हो जाता है यह बात हर उस कार्यकर्ता की है जो अपने बीच के कुछ लोगों की मदद के लिए रात दिन एक कर देते हैं पर जब उनकी बारी आता है तो वह भी मुकर जाता हैऐसे ही एक नेता और समाजसेवी सिद्धेश सिन्हा की हम बात कर रहे हैं जो अपने आप मे एक पूरा कुनबा लिए घूमते हैं समाजवादी विचारधारा की सेवा करने के लिए इनका परिवार जाना जाता है राजनीति में समाजवादी और लोहिया विचारधारा आगे बढ़ाने वाले उनके पिता की मृत्यु के बाद समाजवादी पार्टी में अपनी पूरी जिंदगी और जवानी लगा देने वाले सिद्धेश सिन्हा को लोग भली प्रकार से जानते हैं लेकिन जब टिकट की बात आती है तो उनके ही पार्टी के लोग उनसे आंखें चुराना सुरु कर देते हैं ऐसा तब है जब श्री सिन्हा के सामने राजनीतिक कैरियर शुरू करने वाले लोग उन्हें अच्छे और बुरे की सलाह देते हैं समाजवादी विचारधारा के इस सिपाही को सत्ता में भले ही कोई पद नहीं मिल सका और ना ही उनके परिवार को कोई बड़ी राहत ,फिर भी निष्ठा और ईमानदारी पार्टी में लगने वाली श्री सिन्हा को नगर पालिका के चेयरमैन की टिकट को लेकर पिछली बार निराशा ही हाथ लगी कारण वही जिनकी उन्होंने चुनाव में भरपूर मदद किया वही चंद लाभ के आगे अपने इस सिपाही को भूल गए इनसे और इनके जैसे कई कार्यकर्ताओं से नाता तोड़ दूसरी पार्टियों से आए नेताओं पर अपना भरोसा दिखाया और पार्टी मैं उन्हें टिकट दिया,सवाल यह है जो कार्यकर्ता पूरी जिंदगी पार्टी की सेवा के लिए समर्पित रहते हैं उन्हें पार्टी टिकट देने से क्यों कतरा जाते हैं और धनबल के आगे अपनो कैसे भूल जाते हैं तो फिर कार्यकर्ता कहा जाये,, एक बार फिर धनबल और जुगाड़ के आगे निष्ठावान कार्यकर्ता की निष्ठा दांव पर लगी हुई है पार्टी के कार्यकर्ता ने कहा देखना यह है कि इस बार भी पार्टी टिकट धनबल को देती है या निष्ठावान कार्यकर्ता।