Saturday, May 18, 2024
साहित्य जगत

दो कुंडलियां

(१)

वृद्धि हुई अपराध में दिखे न सच की राह।
विभिन्न सुरक्षा बलों को करना है आगाह।
करना है आगाह हुआ चौकन्ना शासन।
पुलिस व्यस्त है कायम करने में अनुशासन।
कह “वर्मा” कवि खुद को आज जगाना होगा।
अपराधों पर हमको अंकुश पाना होगा।

(२)

कोरोना ने कर दिया मन कितना बेचैन।
सरे आम ही छिन गई रमपतिया की चैन।
रमपतिया की चैन लुटेरे कैसा ऐठे।
कुछ बेरोजगार ही अपराधी बन बैठे।
कह “वर्मा” कविराय देश की हालत खस्ता।
बढ़ता ही जा रहा आज क्राइम का बस्ता।

डॉ. वी के वर्मा
चिकित्साधिकारी
जिला चिकित्सालय बस्ती