Sunday, May 5, 2024
हेल्थ

किशोरावस्था में स्वास्थ्य और पोषण के प्रति सजगता आवश्यक

भवानी प्रसाद पाण्डेय डिग्री एवं इंटर कॉलेज में किशोर स्वास्थ्य मंच का आयोजन

गोरखपुर।आज की किशोरियां और किशोर ही कल के माता पिता हैं । ऐसे में किशोरावस्था में स्वास्थ्य और पोषण के प्रति बरती गई सतर्कता सुपोषित मातृत्व और बाल स्वास्थ्य की नींव है । इस संदेश के साथ गोरखपुर शहर के करीमनगर स्थित भवानी प्रसाद पांडेय डिग्री एवं इंटर कॉलेज में किशोर स्वास्थ्य मंच का आयोजन सोमवार को किया गया । आयोजन में आए विषय विशेषज्ञों ने किशोरावस्था में व्यक्तिगत स्वच्छता, एनीमिया प्रबन्धन और शारीरिक व मानसिक बदलावों के बारे में विस्तार से चर्चा की ।

राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम की जिला समन्वयक डॉ अर्चना कुमारी ने कहा कि किशोरावस्था से जुड़े मुद्दों पर खुल कर बात करने के लिए ही सीएमओ डॉ आशुतोष कुमार दूबे और नोडल अधिकारी डॉ नंद कुमार के दिशा निर्देशन में जिले के ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में में मंच का आयोजन किया जा रहा है । बढ़ती उम्र के साथ किशोरावस्था में कई ऐसी जिज्ञासाएं होती हैं जिनका समाधान मैत्रीपूर्ण वातावरण में ही हो सकता है । इसलिए घर में अभिभावक और स्कूल में शिक्षकगण को किशोर-किशोरियों के प्रति मित्रतापूर्ण सम्बन्ध रखना चाहिए। इस तरह का माहौल मिलने से किशोरावस्था में भटकने की आशंका कम हो जाती है । किशोरावस्था से जुड़े हर सवाल पर उचित परामर्श के लिए जिला अस्पताल और महिला अस्पताल में किशोर स्वास्थ्य क्लिनिक का संचालन किया जा रहा है जहां पूरी गोपनीयता के साथ मदद की जाती है।

शाहपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ नीतू ने बताया कि किशोरावस्था में किशोरियों का मासिक धर्म स्वच्छता के प्रति सजग होना अनिवार्य है । मासिक धर्म के दौरान गंदे कपड़ों का इस्तेमाल करने से किशोरियां इंफेक्शन, यौन संक्रमण और भविष्य में बांझपन जैसी समस्याओं से ग्रसित हो जाती हैं । मासिक धर्म के दौरान सेनेटरी पैड का ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए और इसे हर चार घंटे पर बदल देना चाहिए। किशोर और किशोरियों को धुम्रपान, शराब के सेवन और अन्य नशावृत्तियों से बचाने के लिए उनमें सृजनात्मक भाव का विकास किया जाना चाहिए । बढ़ती उम्र में पर्याप्त पोषण न मिलने पर एनीमिया का खतरा बढ़ जाता है । इससे बचाव के लिए हरी साग सब्जियों के सेवन के साथ साथ स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों से प्रति सप्ताह मिलने वाले आयरन फोलिक एसिड का सेवन अति अनिवार्य है।

इस मौके पर लैब टेक्निशियन सत्येंद्र द्वारा किशोर-किशोरियों के खून में हीमोग्लोबिन की मात्रा की जांच की गई। स्वयंसेवी संस्था ब्रेक थ्रू और पीएसआई इंडिया ने कार्यक्रम में सहयोग प्रदान किया और खेल खेल में किशोरावस्था से जुड़े मुद्दों पर जागरूक किया । कॉलेज में सिफ्सा की मदद से बने यूथ फ्रेंडली क्लब द्वारा प्रश्नोत्तरी और वाद-विवाद प्रतियोगिता का भी आयोजन करवाया गया । कॉलेज के प्रधानाचार्य कमलेश कुमार त्रिपाठी और किशोर स्वास्थ्य काउंसलर रूपकला ने भी किशोर किशोरियों से संवाद किया।

इस मौके पर पीएसआई इंडिया संस्था की प्रतिनिधि प्रियंका सिंह, ब्रेक थ्रू संस्था की प्रतिनिधि आभा सिंह व रोमा और सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) संस्था के प्रतिनिधि ने भी कार्यक्रम को सम्बोधित किया । आयोजन में कॉलेज के प्रशासक मारकण्डेय सिंह, नोडल अधिकारी डॉ भूपेंद्र सिंह, एनएसएस के कार्यक्रम अधिकारी डॉ अमृता गुप्ता, शिक्षक मेराजुद्दीन और प्रियंका पांडेय ने विशेष सहयोग किया ।

*एनीमिया की समझ बढ़ी*

कार्यक्रम की प्रतिभागी बीए द्वितीय वर्ष की 18 वर्षीय छात्रा पूजा पांडेय ने बताया कि कार्यक्रम के जरिये एनीमिया के प्रति समझ का विकास हुआ । जानकारी मिली कि इससे बचाव के लिए लौहयुक्त खाद्य पदार्थों जैसे गुण, चना आदि का सेवन करना चाहिए । हर सप्ताह आयरन की गोली का सेवन अवश्य करना है । बीए प्रथम वर्ष की 18 वर्षीय छात्रा सत्या निषाद ने बताया कि कार्यक्रम में एनीमिया के लक्षणों के बारे में बताया गया । कमजोरी महसूस होने, जल्दी थक जाने, त्वचा के पीला होने या सांस सम्बन्धी दिक्कत होने पर एनीमिया की जांच अवश्य करवानी चाहिए।

*जिले में एनीमिया की स्थिति*

आरकेएसके की जिला समन्वयक डॉ अर्चना ने बताया कि राष्ट्रीय परिवारिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण- 5 ( 2019-21) के अनुसार जिले में 15 से 19 आयु वर्ग की 55.8 फीसदी किशोरियां एनीमिया ग्रसित पाई गईं। इस सर्वे के अनुसार 15 से 49 आयु वर्ग की 52.9 फीसदी महिलाएं भी एनीमिया पीड़ित पाई गईं। अगर किशोरावस्था में खान पान का ध्यान रखा और आयरन फोलिक गोलियों का साप्ताहिक सेवन किया जाए तो हालात में सुधार हो सकता है ।