Friday, May 3, 2024
साहित्य जगत

पुस्तक समीक्षा ज्योति बिखेरती “काव्य ज्योति

शिक्षक/कवि राम रतन यादव की प्रशंसा करने का मेरा कोई इरादा नहीं हैं, फिर भी अपने पहले काव्य संग्रह को बेटी के नाम को ज्योतिमय करते हुए उन्होंने समाज को बड़ा संदेश दिया है। हमारी मातृशक्तियों को जब निरंतर प्रगतिशील ही नहीं अपनी क्षमता का लोहा मनवाते रहने के बाद भी बहुत सारे विपरीत हालातों, समस्याओं और जलालत झेलना पड़ता है, अपना जीवन भी खोना पड़ता है। तब कवि का यह कदम बड़ा संदेश ही नहीं विचारणीय भी है कि बेटियों को सम्मान आगे बढ़कर हमें खुद देना होगा, तभी बेटियों के सम्मान की सार्थकता हो सकती है।
स्व.गंगादत्त राम यादव जी और अपने पिता श्रीराम दास यादव जी को समर्पित उनके काव्य संग्रह के संपादक साहित्य के श्लाघा पुरुष वरिष्ठ कवि डा. रुप चंद्र शास्त्री जी ने संग्रह की भूमिका में लिखा हैकि कविता के सभी पहलुओं को संग साथ लेकर काव्य शैली में ढालना एक दुष्कर कार्य होता है,मगर रतन जी ने इस कार्य को संभव कर दिखाया।शास्त्री जी ने उनकी लेखनी ही नहीं उनके श्रम की भी खुले मन से प्रशंसा की है।
वरिष्ठ साहित्यकार/कवि श्री जितेंद्र कमल आनंद जी ने सम्मति और अभिमत पत्र में कवि के सृजन पर लिखा है कि कवि ने विधा और विषय के अनुरूप सरल-सरस, भिव-संप्रेषणीय भाषा का प्रयोग कर अपने काव्य प्रशंसनीय और पठनीय बना दिया है।
सुधी पाठकवृंद में राज सक्सेना जी के अनुसार यादव जी कवित्व कीअधिकतम सफलता के प्रतिमान बनाते लगते हैं।
मध्यम वर्गीय किसान परिवार में महराजगंज, उत्तर प्रदेश के ग्राम छितहीं बुजुर्ग फरेंदा मे जन्में रामरतन यादव जी समाज में बेटियों को उचित अधिकार और सम्मान मिल सके।इसके लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं, प्रस्तुत काव्य संग्रह का नामकरण भी इस कड़ी को आगे बढ़ाने के उद्देश्य सेअपनी बेटी के नाम से किया।बेटियों के सम्मान में यादव जी की ये पंक्तियां बड़ा संदेश देने के लिये तत्पर दिखती हैं-
इनकी आँखें कम न होंगी, इनकी खुशियां कम न होंगी।
यदि इनको शिक्षित कर दो तो,बेटों से ये कम न होंगी।
संकलन में संग्रहीत अपने 56 रचनाओं के माध्यम से कवि ने विभिन्न विषयों को अपनी रचना का आधार है। बचपन से लेकर किसान, बसंत, मोबाइल, बेटी, देशगीत, नशा, वर्तमान पीढ़ी, कोरोना, गाँव, भ्रूण हत्या संग हास्य सहित सामाजिक, व्यवहारिक, पौराणिक, धार्मिक और राष्ट्रीय चिंतन की अपने बृहद चिंतन को उजागर किया है।कवि की सोच में एक शिक्षक की भावना का समावेशी दृष्टिकोण परिलक्षित होता है।
संग्रह की रचनाओं में प्रेरणा, सीख, संदेश और चुंबकीय भाव संग्रह की विशेषता है।
अपने प्रथम संग्रह से ही कवि ने अपने भविष्य की झलक दिखा दिया है।
विभिन्न विधाओं की रचनाधर्मिता युक्त रचनाओं को संकलन में स्थान देकर कवि ने अपने समर्पण का संकेत दे दिया है।
जिज्ञासा प्रकाशन गाजियाबाद से प्रकाशित “काव्य ज्योति” संकलन का मूल्य संकलन मात्र 250 रुपये है जिसे संकलन के लिहाज से ठीक ही है। शानदार हार्ड कवर,संकलन के नाम के अनुरूप आकर्षक मुख पृष्ठ और पीछे कवि का परिचय संकलन को आकर्षित करते हैं।
संक्षेप में पहले ही संकलन मे कवि ने अपने स्थापित होने की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं। व्यक्तिगत रूप से मुझे संकलन की सफलता को लेकर कोई संदेह नहीं है। मेरा मानना है कि संकलन पाठकों को अपना बनाने में सफल होगा।
कवि रामरतन यादव जी को बहुत बधाइयां, शुभकामनाएं।मेरा विश्वास है कि यादव जी का अगला संकलन अपनी गरिमा के साथ पाठकों के हाथों में होगा। संकलन की सफलता और कवि की सतत सृजन यात्रा जारी रखने के लिए शुभकामनाएं, बधाइयां।

समीक्षक
सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा, उत्तर प्रदेश
8115285921