Saturday, April 27, 2024
साहित्य जगत

हिन्दी भाषा

हिन्दी हिन्द की बोली भाषा,

हिन्द देश की है परिभाषा।
संप्रेषण -संवाद का माध्यम,
जन – जन से जोड़े यह नाता।।

स्वप्न -जागरण में यह बसती,
हमसे हंसी -ठिठोली करती।
अंग्रेजी जब हावी होती……,
अपनी व्यथा -कथा भी कहती।।

दूर देश में भी यह बसती,
आते- जाते हंसती कहती।
सुदूर प्रदेश से जब कोई आता,
इसको सुन कर मन हर्षाता।।

हम सबको है बड़ी सुहाती,
चंन्द्र बिन्दु से मांग सजाती।
स्वर-व्यंजन से है यह उन्नत,
व्याकरण से पूर्ण परिपाटी।।

सरल -सहज है बड़ी लुभावनी,
हिन्दी सारे जग में पावनी…।
भारत वर्ष की है अभिमानीनी,
धरा-अंबर चमके बन दामिनी।।

इसकी करना नहीं उपेक्षा,
अन्य भाषाओं की अपेक्षा।
सारे जग से प्यारी है ,
हिन्दी हमारी वाणी है।।

जन- मन की हो यह अभिलाषा,
हिन्दी बने राष्ट्र की भाषा ।

आर्यावर्ती सरोज “आर्या”
लखनऊ (उत्तर प्रदेश)