Tuesday, May 7, 2024
साहित्य जगत

हिंदी भाषा और नारे का महत्व

हिंदी विश्व की प्रचीनतम भाषाओं में से एक है। विश्व में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा मे हिंदी दूसरे स्थान पर आती है ।सम्पूर्ण जगत में भारतीय संस्कृति और परंपरा के प्रचार का श्रेय हिंदी भाषा को ही प्रदत है। 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने हिंदी को संघ की राजभाषा के रूप मे स्वीकृत किया था। इसी कारण से हिंदी के महत्व के प्रचार प्रसार के लिए 1953 से हर वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। हिंदी पखवाड़े का आयोजन ,तरह तरह की प्रतियोगिताओ का आयोजन हर स्तर पर किया जाता है।
हिंदी हमारे दैनिक जीवन के संवाद की आम ,सरल और जनप्रिय भाषा है। हिंदी है हम वतन है ? यह पंक्तिया परिलक्षित करती है कि हमारे देश की पहचान हैं हिंदी |

हमारे जीवन की दौनिक दिनचर्या और आपसी बातचीत का सबसे सरल एवं प्रवाह पूर्ण माध्यम है हिंदी। आप चाहे कितनी भाषाएँ सीख ले परन्तु चोट लगने पर आह हिंदी मे ही निकलती है। यदि रास्ते चलते कोई संकट छू कर निकले तो माँ और हिंदी दोनो एक साथ याद आते है जैसे उई माँ ।

हिंदी हम आम बोल चाल की भाषा में भी पूर्णतया सही नही बोलते हैं।
बात बात में भी हिंदी के शब्दों को बोलने के लिए हम अटक जाते है तो अंग्रेजी बोलकर वाक्य पूरा करते हैं । सोचिए की हम और आप में से कितने लोग है जो आम बात चीत में 5 मिनट बिना कभी अंग्रेजी शब्द का प्रयोग किए बिना शुद्ध हिंदी या सरल हिंदी बोल पाते है यह चिंताजनक है ?
हिंदी दिवस मनाना सार्थक तभी होगा जब हम हिंदी को उसका सही स्थान और वर्चस्व दिला पाएं।

हमारे, विद्यालयों मे उच्च शिक्षा की अच्छी पुस्तकें हिंदी में आज भी अनुपलब्ध आइए सार्थक अथक प्रयास करें इस दिशा में । मेरा यह मानना है कि आप अपनी बात को प्रभावी और सही ढंग से अपनी ही मातृभाषा में पहुंचा सकते हैं. एक स्वतंत्र देश की अपनी भाषा उसकी पहचान और गौरव होती है।
हिंदी वियोगात्मक भाषा है। हिंदी भाषा की माता संस्कृत है। हिंदी हमारी मातृभाषा तो है ही और यह हम सभी को आपस में यह जोड़ने का भी काम करती हैं. इसीलि हिंदी को संस्कृत की बड़ी बेटी का दर्जा प्राप्त है।
भारत भ्रमण पर यदि आप निकले तो आपको पता चलेगा कि हिंदी कई स्थानों पर लोग नहीं जानते हैं। अगर यह एक राष्ट्रभाषा है तो पूरे राष्ट्र में इसको सभी को आना चाहिए क्योंकि यही एक आपसी बातचीत पर संवाद का सरल माध्यम है यदि यह भाषा कुछ क्षेत्रों के लोगों को नहीं आती है तो यकीन जानिए वह स्थिति बहुत ही दुष्कर और दुरुह हो जाती है क्योंकि आप एक अपनी छोटी सी बात भी नहीं कह पाते हैं, कुछ पूछना हो तो पूछ नहीं पाते हैं इस पर भी हमें यथोचित और शीघ्र निर्णय लेकर कार्य करने होंगे जिससे हिंदी का प्रचार प्रसार पूरे राष्ट्र में भली-भांति हो सके।
आइए हिंदी भाषा को दैनिक व्यवहार में अपनाएं दैनिक बोलचाल में हम हिंदी ही बोले।
हिंदी दिवस बस निकट ही है तो आइए हम सब मिलकर हिंदी भाषा की विभिन्न विधाओं में से हर एक विधा पर कुछ न कुछ लिखें। हम सभी की दैनिक दिनचर्या में बोलचाल की भाषा में हम कोई ना कोई वाक्य बार-बार बोलते हैं जैसे हां नहीं तो ,ऐसा है ना। जिसे जिसे कुछ लोग, व्यक्ति विशेष का तकिया कलाम भी कहते हैं ,पर यह आपके व्यक्तित्व से जुड़ा हुआ आप का एक अंदाज है जो आपको पता भी नही चलता और यह आप की रोजमर्रा की बोलचाल की आदत में शामिल हो जाता है। महापुरुषों के नारों ने उनके पीछे विशाल जनसमूह को आकर्षित किया और बड़े से बड़े आंदोलन किसी ना किसी एक नारे से लोकप्रियता को पा सकें।
आइए हिंदी भाषा के गौरव पर नारा लिखें । अपने बच्चों को अवश्य प्रेरित करें और सिखाएं यह मेरा विशेष अनुरोध है।
नारों का सृजन करें और अपना -अपना योगदान दें। लोगों तक अपनी बात नारे के द्वारा पहुंचाने की कोशिश करें ज्यादा से ज्यादा सृजन करें और हम सभी अपना अपना योगदान दें। मेरा यह मानना है कि हिंदी विधा में नारों का बड़ा ही महत्वपूर्ण स्थान है क्योंकि यह बड़ी बात को कम शब्दों में कहने की कला है। गागर में सागर भरना यदि आपको आता है तो आप अपनी बात को एक सशक्त नारे के साथ कह सकते हैं । हमारे महापुरुषों ने जो भी नारे दिए वह आज भी जनमानस के मस्तिष्क और हृदय में अंकित हैं और उतने ही लोकप्रिय हैं। आप उन्हें पढ़िए तो प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाते हैं।
इसलिए किसी भी महत्वपूर्ण दिवस या उत्सव पर एक नारा लिखने का प्रयास जरूर करिए आपका अपना नारा सृजन आपका विकास है अपनी हिंदी का।

कुछ नारे जो मैंने लिखे हैं –

हिंदी मेरे माथे की बिंदी हिंदी गगन का चंद्रमा।

*निर्जीव वस्तुओं का करती लिंग निर्धारण एकमात्र हिंदी ,है अनोखी अपनी हिंदी।* महिमा

*हिंदी हर हृदय की धडकन ।* महिमा

*हिंदी मे रचे बसे गुंथे संस्कार हमारे ।”* महिमा

*है हिंदी मे हर कार्य सहज शुरुआत तो कीजिए।*महिमा

प्रस्तुत है मेरी कविता की कुछ पंक्तियां

सृजन करें हिंदी में नारा,
दे मातृभाषा को मान ।
बोलो, लिखो ,पढ़ो हिंदी में, करो सदा यही प्रयास।
देश की आन बान शान,
हम सबकी अपनी हिंदी। हिंदी मेरे माथे की बिंदी, हिंदी गगन का चंद्रमा ,
हिंदी संस्कृतियो का महासागर,
आओ इसका मान बढ़ाएं। हिंदी हम भी सही बोले, अन्य जनमानस को भी प्रेरित कर जाएं।

स्वलिखित मौलिक लेख
डाक्टर महिमा सिंह
लखनऊ उत्तर प्रदेश