Sunday, May 19, 2024
हेल्थ

‘धूल, धुंआ, धुम्रपान, प्रदूषण और सर्दी से बचाव करें अस्थमा रोगी’’

गोरखपुर, धूल, धुंआ, धुम्रपान, प्रदूषण और सर्दी जुकाम अस्थमा रोगियों की मुश्किलें बढ़ देते हैं । रोगी को इन स्थितियों से बचा कर रखना चाहिए। साथ ही अगर स्वस्थ व्यक्ति में अस्थमा के लक्षण दिखें तो समय से उपचार, सही देखभाल और बचाव के सभी उपाय किये जाने चाहिए। यह कहना है मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे का । वह एक श्वसन रोग विशेषज्ञ भी हैं । इस साल ‘‘अस्थमा शिक्षा सशक्तीकरण’’ थीम के साथ सात मई को विश्व अस्थमा दिवस मनाया जाएगा । यह पूरे विश्व में मई माह के पहले मंगलवार को मनाया जाता है।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि अस्थमा एक अनुवांशिक बीमारी भी है । इसमें रोगीं की श्वसन नलिकाएं अति संवेदनशील व सख्त हो जाती हैं और उनमें सूजन भी आ जाता है जिससे सांस लेने में कठिनाई आती है । गर्मी के मौसम में धूल, मिट्टी, अन्य प्रदूषक, परागकण और गर्म हवाएं इन कारकों में प्रमुख हैं। इनके अलावा पेपर डस्ट, रसोई का धुंआ, नमी, सीलन, मौसम में परिवर्तन, सर्दी, जुकाम, धुम्रपान, शराब, एसीडिटी, ग्रेन डस्ट, भूंसा, वनस्पतियां, माइट डस्ट, फास्टफूड, इत्र, अगरबस्ती, धूपबत्ती, वायरस और बैक्टेरिया भी वह कारक हैं जिनके चलते अस्थमा मरीजों की परेशानी बढ़ जाती है । खाना बनते समय मसाला भुनने वाली जगह से भी अस्थमा रोगी दूर रहे। रोगी के कमरे में सामान कम से कम होना चाहिए। कारपेट का प्रयोग नहीं करना चाहिए। रोगी के कमरे में झाडू लगाने से बेहतर है कि पोछा दोनों समय लगाया जाए। तनाव भी अस्थमा के मरीजों के लिए घातक है।

डॉ दूबे ने बताया कि ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर अस्थमा (जीआईएनए) की एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में हर साल 4.50 लाख लोगों की मौत इस बीमारी के कारण ही होती है । सतर्कता रख कर इन मौतों पर नियंत्रण कर सकते हैं । खांसी आना, सांस फूलना, सीने में भारीपन, छींक, नाक बहना और सही विकास न हो पाना अस्थमा के कुछ प्रमुख लक्षण हैं । दो तिहाई मामलों में अस्थमा के लक्षण बचपन में ही प्रकट हो जाते हैं जबकि एक तिहाई मामलों में युवावस्था में इसके लक्षण दिखते हैं । इन लक्षणों के दिखने पर चिकित्सक की सलाह पर पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट (पीएफटी) जांच अवश्य करानी चाहिए। इससे बीमारी की पुष्टि हो जाती है। यह बीमारी किसी भी उम्र के व्यक्ति में हो सकती है।

*यह भी रहे ध्यान*

डॉ दूबे ने बताया कि चिकित्सक की सलाह पर अस्थमा के रोगियों को इनहेलर चिकित्सा प्रारंभ करनी चाहिए । इनहेलर का प्रभाव दवाओं की तुलना में कहीं बेहतर होता है। अस्थमा रोगियों में ह्रदय रोग, किडनी और मधुमेह से स्थिति गंभीर हो सकती है और ऐसे लोगों के लिए टीका जरूरी है। पैंसठ वर्ष से अधिक उम्र के बैक्टेरियल निमोनिया वाले रोगियों के लिए भी टीका जरूरी है। अस्थमा रोगियों को फ्लू वैक्सीन भी अवश्य लगवानी चाहिए। वायरल फैलेने की स्थिति में मास्क का प्रयोग, एलर्जी वाले पालतू जानवरों और पक्षियों से दूरी, पैसिव स्मोकिंग से बचाव और निर्माण स्थलों व प्रदूषित इलाकों में मास्क का प्रयोग जरूरी है।

*यह उपाय भी हैं जरूरी*

सीएमओ ने बताया कि अस्थमा के रोगियों को अपने श्वसन तंत्र को मजबूत बनाने के लिए 10 मिनट का प्राणायाम अवश्य करना चाहिए। अगर गर्मी में किसी चीज से एलर्जी है तो चिकित्सक की सलाह पर दवा लें। वायु प्रदूषण और धुलभरी जगहों पर जाने से बचें। खुद से उपचार में कोई बदलाव न करें और चिकित्सक की सलाह पर दवा लेते रहें। खिड़की खोल कर न सोएं और जिन चीजों से एलर्जी है उनसे दूर रहें। घर में खाना बनाते समय, झाड़ू लगाते समय और पूजा व हवन के समय घर से बाहर रहना चाहिए । अस्थमा रोगियों के बिस्तर को प्रत्येक सप्ताह पांच से छह घंटे धूप में डालना अनिवार्य है ।