Saturday, May 18, 2024
साहित्य जगत

दोहे

देखो कैसा हो रहा साँय- साँय का शोर
शाम हुई वापस चलें अपने घर की ओर |
मृत्यु सत्य है मृत्यु से कभी न हो भयभीत
भला यहां पर मृत्यु से कौन सका है जीत |
अब तो कोई लालसा रही न मन में शेष
कानों में बस गूंजता गीता का उपदेश |
विष माया औ मोह का रहे न उर में व्याप्त
जीवन का यह लक्ष्य है करो मोक्ष को प्राप्त |
डॉ. राम कृष्ण लाल जगमग