सेना की पुलिस से लड़ाई, पाकिस्तान में गृह युद्ध की नौबत आई, पहले बना था बांग्लादेश, अब बनेगा सिंधुदेश?
गृह युद्ध के मुहाने पर पाकिस्तान, आमने-सामने सेना और सिंध पुलिस के जवान। कराची में बाजवा की सेना का बवाल और राजधानी में बिगड़ा कानून व्यवस्था का सूरत-ए-हाल। सिंध पुलिस के तेवर से डरकर बाजवा ने पाक रेजर्स की करतूत की जांच का भरोसा दिया है। पाकिस्तान में हालात बदलने लगे हैं, कल तक जिस मुल्क में सेना का सिक्का चलता था। उस पाकिस्तान में बाजवा को आंख दिखाने की हिम्मत सिंध पुलिस ने दिखाई। नवाज शरीफ के दामाद सफदर की गिरफ्तारी के बाद सेना के सीधे तौर पर दखल की बात सामने आई है। हाल ही में पाकिस्तान के विपक्षी दलों ने एक रैली आयोजित कर इमरान सरकार को घेरा था। इस रैली के खत्म होते ही पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के दामाद सफदर अवान को रातोंरात होटल से गिरफ्तार कर लिया गया था। राजनीतिक माहोल गर्म होते देख अगले ही दिन उन्हें छोड़ दिया गया। इसके बाद सिंध प्रांत के पूर्व गवर्नर मोहम्मद जुबैर ने बहुत बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि सफदर की गिरफ्तारी के लिए राज्य के पुलिस चीफ का अपहरण कर लिया गया था ताकि उनसे जबरन सफदर की गिरफ्तारी के वारंट पर हस्ताक्षर कराया जा सके। इस खुलासे के बाद पुलिस महकमे में गुस्सा पैदा हो गया और अपने आलाधिकारियों के प्रति असम्मान की बात कहते हुए विराध दर्ज कराया।
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के दामाद मोहम्मद सफदर की गिरफ्तारी को लेकर बवाल मच गया। सफदर अपनी पत्नी मरियम नवाज के साथ कराची के होटल में रुके हुए थे। पुलिस इन दोनों के कमरे का दरवाजा तोड़ कर अंदर घुस गई और सफदर को उन्होंने वहीं से गिरफ्तार कर लिया। उन्हें कायदे आजम मुहम्मद अली जिन्ना के मकबरे की पवित्रता भंग करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया। वह मकबरे तक भीड़ के साथ ऐसी नारेबाजी करते हुए गए थे, जिसे पाकिस्तानी सेना के खिलाफ माना जाता है। इस तरह की खबरें आईं कि जब पुलिस को मोहम्मद सफदर की गिरफ्तारी का आदेश दिया गया तो उसने ऐसा करने से ही मना कर दिया। आदेश का पालन करवाने के लिए आर्मी ने दखल दिया और सिंध पुलिस के चीफ को ही पकड़ ले गई।
18-19 अक्तूबर को रहे गृहयुद्ध जैसे हालात
अखबार इंटरनेशनल हेराल्ड ने एक रिपोर्ट में दावा किया कि कराची में पीडीएम की रैली के बाद सफदर अवान की गिरफ्तारी के वक्त गृहयुद्ध जैसे हालात बन गए थे। इस दौरान पाक सेना और सिंध पुलिस के बीच कई जगह फायरिंग भी हुई थी जिसमें कुछ पुलिस वालों की मौत व घायल होने की खबरें आईं लेकिन उनकी पुष्टि नहीं हो सकी। इस मुद्दे को लेकर देश के सबसे बड़े शहर में अर्धसैनिक बल और पुलिस के बीच गतिरोध पैदा हो गया है।
सिंध पुलिस ने कई ट्वीट कर कहा कि 18 व 19 अक्टूबर की दरम्यानी रात को हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना से उसके कर्मियों में नाराजगी और असंतोष पैदा हो गया है। पुलिस की यह टिप्पणी नवाज शरीफ के दामाद मुहम्मद सफदर की गिरफ्तारी के संदर्भ में थी। पाकिस्तान के विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि अर्धसैनिक बल फ्रंटियर कोर ने सफदर को गिरफ्तार करने के लिए कथित तौर पर सिंध पुलिस पर दबाव डाला। पुलिस ने कहा, ‘‘इसके परिणामस्वरूप आईजी सिंध ने छुट्टी पर जाने का फैसला किया और बाद में सभी अधिकारियों ने फैसला किया कि वे सिंध पुलिस के अपमान का विरोध करने के लिए छुट्टी का आवेदन देंगे। यह एक सहज और स्वत: स्फूर्त प्रतिक्रिया थी और सामूहिक के बदले व्यक्तिगत स्तर पर थी।
विपक्ष ने कहा, सेना के भरोसे पर खतरा
पूर्व पीएम नवाज शरीफ ने ट्वीट किया, कराची की घटना बताती है कि पाक में एक अलग राज्य है जो अपना आदेश मनवाने के लिए पुलिस अधिकारी को भी अगवा कर सकता है।
आईजी मुश्ताक का पत्र बताता है कि संविधान ताक पर है। बिलावल भुट्टो ने कहा, सिंध में हमारी सरकार है और जांच दल ने राज्य सरकार को गिरफ्तारी की सूचना तक नहीं दी। इससे सेना के भरोसे पर खतरा पैदा हो सकता है।
सिंध प्रांत बार काउंसिल ने प्रस्ताव पास किया
सिंध प्रांत की बार काउंसिल ने भी आईजी को अगवा किए जाने की घटना पर चिंता जाहिर की है। सिंध बार काउंसिल ने पाकिस्तानी सेना पर सीधा आरोप लगाया है और कहा है कि-
- ऐसा करने से पुलिस फोर्स का मनोबल गिरा है।
- पुलिस के कामकाज में दखल से देने से कानून व्यवस्था प्रभावित हुई।
- पाकिस्तान की न्यायपालिका मूक दर्शक बनी हुई है।
- नागरिक प्रशासन में सेना को दखल नहीं देना चाहिए।
- चीफ जस्टिस ऑफ पाकिस्तान को घटना का संज्ञान लेना चाहिए।
पाक आर्मी चीफ ने दिए जांच के आदेश
पाकिस्तान में सिंध पुलिस के प्रमुख ने अपनी छुट्टी टाल दी है और अपने अधिकारियों से कहा है कि वे ‘बड़े राष्ट्रहित’ को देखते हुए अवकाश के अपने आवेदनों को दस दिनों के लिए टाल दें। इससे पहले सेना प्रमुख जनरल क़मर जावेद बाजवा ने पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के दामाद की गिरफ्तारी से जुड़ी परिस्थितियों की जांच का आदेश दिया।’’ सिंध पुलिस ने जनरल बाजवा को धन्यवाद दिया कि उन्होंने बल के कर्मियों की आहत भावना को महसूस किया और तुरंत मामले की जांच का आदेश दिया। इसके बाद पुलिस ने कहा, ‘‘आईजी सिंध ने अपनी छुट्टी टाल दी है और अपने अधिकारियों को आदेश दिया है कि जांच लंबित रहने तक वे अवकाश के अपने आवेदनों को दस दिनों के लिए वृहद राष्ट्रीय हित में रद्द कर दें।’’ सिंध पुलिस ने पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी और मुख्यमंत्री मुराद अली शाह को भी पुलिस के प्रति एकजुटता दिखाने के लिए धन्यवाद दिया। सिंध प्रांत में पीपीपी की सरकार है। मुख्यमंत्री शाह ने आईजीपी मुश्ताक महार और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात की तथा उन्हें आश्वासन दिया कि सरकार उनके साथ है। उन्होंने कहा, सिंध की सरकार इस कठिन समय में अपनी पुलिस के साथ है। हम किसी भी हालत में पुलिस का मनोबल नहीं गिरने देंगे। इस पूरे विवाद के बीच जनरल बाजवा ने कराची कोर कमांडर को तथ्यों की जांच करने और जल्द से जल्द रिपोर्ट करने का का निर्देश दिया।
सेना पर नवाज का हमला
गुजरांवाला में हुई रैली में नवाज शरीफ ने आरोप लगाया कि पाकिस्तानी सेना ने उन्हें जबरदस्ती सत्ता से बेदखल कर इमरान खान को ताज सौंपा था। नवाज ने सीधे-सीधे पाकिस्तानी आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा और खुफिया एजेंसी आईएसआई चीफ लेफ्टिनेंट जनरल फैज हामिद का नाम लिया। शरीफ ने सीधे तौर पर जनरल बाजवा का नाम लेते हुए पूछा कि किसने स्टेट के ऊपर एक अलग स्टेट बनाया? पाकिस्तान में दो सरकारों के लिए जिम्मेदार कौन है? उन्होंने कहा कि यह सब पाकिस्तानी सेना के जनरल बाजवा कर रहे हैं। ऐसा पहली बार हो रहा है कि प्रमुख विपक्षी पार्टियों- पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी और पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज ने सीधे तौर पर सेना की आलोचना की।
विपक्षियों पर दबाव की रणनीति
बाजवा ने सोचा था कि नवाज के दामाद की गिरफ्तारी से वो एक तीर से दो शिकार करेंगे। जहां पति की गिरफ्तारी से मरियम नवाज खौफ खाकर सत्ता के खिलाफ विपक्षी लामबंदी से अलग हो जाएंगी। वहीं 11 विपक्षी दल भी गिरफ्तारी के डर से खौफ खाएंगे। लेकिन बाजवा की चाल उल्टी पड़ गई और सिंध पुलिस पर जबरदस्ती बाजवा की भूल साबित हुई।
भारत की पैनी नजर
पाकिस्तान के मौजूदा हालात पर भारत सरकार की भी पैनी नजर बनी हुई है। इस्लामाबाद स्थित अपने दूतावास के अधिकारियों और कर्मचारियों का अलर्ट पर रहने को कह दिया गया है। दरअसल, बुधवार को वहां माहौल और खराब हो गया, जब सेना और सिंध पुलिस के बीच क्रॉस फ़ायरिंग में बड़ी संख्या में पाक सेना के जवानों की मौत हुई। पुलिस की एकजुटता को देखते हुए आईएसआई और फौज के हाथ पांव फूले हुए हैं। पूरे पाकिस्तान की पुलिस फौज के खिलाफ अंतिम लड़ाई के लिए कमर कस चुकी है।
पाक में गहराया सियासी संकट
पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के तारे गर्दिश में हैं। कब कुर्सी से हाथ धोना पड़ जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता। पाकिस्तान में इमरान खान पर विपक्ष तो हमलावर था ही जैसा जनता का रुख है उसने भी इमरान खान की मुश्किलें बढ़ा दी है। अभी बीते दिन ही कराची में जो हुआ, उसने तस्वीर काफी हद तक साफ कर दी है और संकेत दे दिए हैं कि मुल्क अब ज्यादा दिनों तक और इमरान खान को नहीं ढोने वाला। इमरान खान को सत्ता से बेदखल करने के लिए पाकिस्तान में विपक्षी पार्टियों ने गठबंधन का निर्माण किया है। मुल्क के अलग अलग हिस्सों में रैलियां आयोजित की जा रही हैं और इमरान खान को बेनकाब किया जा रहा है। पाक सेना और सिंध पुलिस के बीच घटित इस घटना के बाद से पाक में सियासी संकट गहरा गया है। दो सालों में सबसे बुरे दौर से गुजर रही इमरान सरकार की ओर से मुद्दे पर कोई बयान नहीं दिया गया है। जानकारों का कहना है कि विपक्षी दलों का गठबंधन पहले ही खाद्य कमी और बढ़ती महंगाई के चलते सरकार के खिलाफ राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन कर रहा है। अब इस घटना से इमरान सरकार पर दबाव और बढ़ गया है।
FATF में कैसे मुश्किल से घिरे हैं इमरान खान
इमरान खान पर आतंकवाद और टेरर फंडिंग पर कार्रवाई नहीं करने को लेकर FATF के एक्शन की तलवार भी लटक रही है। बुधवार से शुरू हुई फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की बैठक में पाकिस्तान की किस्मत का फैसला होगा। पाकिस्तान पहले से ग्रे लिस्ट में है। यदि ब्लैट लिस्टेड हुआ तो उसे कहीं से आर्थिक मदद नहीं मिलेगी। आशंका जताई जा रही है कि इसके साथ ही इमरान खान का तख्तापलट भी हो जाएगा।
वैसै तो पाकिस्तान में तख्तापलट होना कोई नयी बात नहीं है। इमरान सरकार खतरे को देख खुद की सरकार बचाने में जुटी हुयी है जबकि पाकिस्तान के हालात दिनबदिन खराब होते ही जा रहे हैं। बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी, तंगहाली, और कर्ज से देश के नागरिकों में हाहाकार मचा हुआ है। इमरान सरकार ने जनता को जो सपने दिखाए थे उनमें से अधिकांश बातें हवाहवाई ही साबित हुयी है।
जिन्ना के कर्मों की सजा भुगत रहा है पाकिस्तान!
मोहम्मद अली जिन्ना ने भारत से अलग पाकिस्तान को बना तो लिया लेकिन वह भूल गए कि इस नए देश को धर्म के नाम पर बनाया गया है। इस नए देश को धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक देश बनाए रखने और धार्मिक कट्टरपंथियों से दूर रखने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास करना होगा। वस्तुत: जिन्ना ही वह वजह थे जिससे पाकिस्तान इस्लामिक गणराज्य बनने की ओर आगे बढ़ा। उन्होंने उस समय सेना पर भरोसा किया जब पाकिस्तान का नया-नया जन्म हुआ था। जिन्ना दूरदर्शी नहीं थे और उन्होंने वर्ष 1947 में पाकिस्तानी सेना को भारत के खिलाफ जम्मू-कश्मीर में आक्रामक कार्रवाई शुरू करने का आदेश दे दिया। अब पाकिस्तान उनके इस गलत कदम की सजा भुगत रहा है।
दोहन और दमन से सुलग रही थी गुस्से की चिंगारी
सिंध पुलिस के विद्रोह को वहां की स्वतंत्र संस्थाएं और गैर सरकारी संगठनों के अलावा आम जनता का भी भरपूर समर्थन मिल रहा है। पाकिस्तानी सरकार और सेना की ज्यादतियों की कहानी कोई नहीं है। इस्लामाबाद पर हुकूमत करने वाली चाहे कोई भी सरकार हो और रावलपिंडी से इस्लामाबाद पर हुकूमत करने वाला चाहे कोई भी सेनाध्यक्ष हो, इनके लिए अनाज की टोकरी कहे जाने वाले सिंध प्रांत के लिए दोहन और दमन की नीति ही रही है। यहां के लोगों को एक मलाल यह भी है कि उनकी संस्कृति और पहचान से हमेशा खिलवाड़ किया जाता रहा है। 1947 के भारत-पाक बंटवारे से लेकर अब तक सरकारों के दोयम दर्जे की नीतियों और सेना की जूतों के तले रखने की आदतों का शिकार होना पड़ता है। जिस तरह बलूचिस्तान पश्चूनिस्तान की मांग पंजाबी वर्चस्व वाली पाकिस्तानी सरकार और सेना के लिए गले की हड्डी बनी हुई है, ठीक उसी तरह सिंध प्रांत की मांग भी लंबे अरसे की की जाती रही है। वहां की सड़कों पर रह-रहकर यह नारा जोर मारता है ‘कल बना था बांग्लादेश, अब बनेगा सिंधुदेश’। दो साल पहले तो सिंध प्रांत की असेंबली ने एक प्रस्ताव पारित कर कहा था कि पंजाबियों ने अपनी अपनी फैक्ट्रियों के जरिए सिंध की नदियों में जहर भेजा रहा है, इस पर सुप्रीम कोर्ट को नोटिस लेने को भी कहा गया था।-