Wednesday, May 8, 2024
बस्ती मण्डल

गूंजी या हुसैन की सदाएं, कर्बला में दफन हुए ताजिया

– इमामबाड़ा व चौक से उठाया गया ताजिए का जुलूस

बस्ती। ताजिए का जुलूस मंगलवार को निकाला गया। इमामबाड़ों व चौक से ताजिए उठाए गए। देर शाम कर्बला में ताजियों को दफन किया गया। दो साल बाद हो रहे मोहर्रम के आयोजन को लेकर अकीदतमंदों में काफी जोश-खरोश नजर आ रहा था।
हुसैनी मिशन की ओर से इमामबाड़ा खुर्शीद मंजिल से जुलूस निकाला गया। यहां से यह जुलूस इमामबाड़ा शाबान मंजिल पहुंचा, यहां पर शाबान मंजिल का ताजिया शामिल हुआ। इसके बाद जुलूस स्टेट बैंक स्थित हुसैनी मस्जिद पहुंचा, जहां पर सामूहिक रूप से नमाज अदा की गई। नमाज के बाद शुरू हुआ यह जुलूस जिला अस्पताल स्थित कर्बला पहुंचकर समाप्त हुआ। कर्बला में अलविदाई नौहा पढ़ा गया। ताजियों को दफन करने के दौरान लोगों की आंखों से आंसू जारी थे।
जुलूस में शामिल युवाओं ने जंजीर व छुरियों से मातम कर खुद को लहूलुहान कर लिया। यह इस बात का प्रतीक है कि अगर कर्बला के मैदान में हम होते तो नबी के नवासे हुसैन पर अपनी जान न्यौछावर कर देते। कर्बला के शहीदों की याद में नौहा पढ़कर सोगवार आंसू बहा रहे थे। मौलाना मोहम्मद हैदर खां ने कहा कि ताजिया हमारी अकीदत व भारतीय कल्चर का प्रतीक है। इमाम हुसैन के रौजे की नकल ताजियों को बनाकर उसकी जियारत करना सवाब है। उन्होंने कहा कि इस्लाम को बचाने का काम कर्बला वालों ने किया है, इसलिए हम उनकी याद मनाते हैं।
मौलाना अली हसन, हाजी अनवार काजमी, असलम रिजवी, सफदर रजा, फरहत हुसैन, शमसुल हसन, हसनैन रिजवी, सोनू, इमरान अली, मोहम्मद, जीशान रिजवी, शम्स आबिद, आले हसन, तकी हैदर, जैन, अन्नू, साजिद, आसिफ, सोनू, मोहम्मद रफीक, जर्रार हुसैन सहित अन्य जुलूस में शामिल रहे।

मजलिसे शामे-गरीबां आयोजित
इमामबाड़ा शाबान मंजिल में मजलिसे शामे-गरीबां का आयोजन किया गया। कर्बला में इमाम हुसैन व उनके साथियों की शहादत के बाद यजीदी फौज ने हुसैनी खैमों को जला दिया और उसमें रखे सामान को लूट िलिया। इमाम के घर वाले बेसहारा कर्बला के मैदान में दसवी मोहर्रम की शाम भूखे-प्यासे पड़े रहे। इसी की याद में इस मजलिस का आयोजन किया जाता है।
मौलाना मोहम्मद हैदर खां ने मजलिस को संबोधित करते हुए कहा कि इमाम को शहीद करने के बाद यजीदियों ने इमाम के खैमों को लूट कर जला दिया। चार साल की बेटी मासूम सकीना के कान के बुंदे तक जालिमों ने खींच लिए, जिससे उसके कानों से खून बहने लगा। कुर्ता जल गया। उस हंगामें में कई बच्चे यजीदी फौजियों के घोड़े की टॉप के नीचे कुचलकर शहीद हो गए। पैगम्बर के घर की पाक महिलाओं के सिर से चादर तक छीन ली गई। 11 मोहर्रम को महिलाओं व बच्चों को रस्सियों में बांधकर फौजी उन्हें लेकर यजीद के दरबार में पहंुचे। यजीद के सामने शहीदों के कटे सिर व कैदी महिलाओं व बच्चों को पेश किया गया। मौलाना हैदर ने कहा कि हम इसलिए भी कर्बला की याद मनाते हैं कि अब दुनिया में कोई दूसरा यजीद न पैदा होने पाए।