Saturday, May 4, 2024
बस्ती मण्डल

सीडब्ल्यूसी के आदेश पर सवाल खड़ा करने वाले सीएमएस को सीडब्ल्यूसी ने किया तलब, मांगा स्पष्टीकरण

बस्ती, जनपद मुख्यालय पर स्थित रानी वीरांगना तलाश कुवरि महिला अस्पताल की सीएमएस के द्वारा न्याय पीठ बाल कल्याण समिति के आदेश पर सवाल खड़ा खड़ा करने पर सीडब्ल्यूसी अध्यक्ष ने सीएमएस तथा महिला चिकित्सक को पत्र भेजकर तलब करते हुए जवाब मांगा है। कहा है कि स्पष्टीकरण से संतुष्ट ना होने पर विभागीय जांच तथा अन्य वैधानिक कार्यवाही अमल में लाई जाएगी।

गौरतलब है कि बुलंदशहर से बस्ती भटक कर पहुंची एक नाबालिग बालिका के मेडिकल का आदेश सीडब्ल्यूसी के अध्यक्ष प्रेरक मिश्रा तथा उनकी टीम के द्वारा चाइल्ड लाइन को किया गया था, चाइल्ड लाइन के डिस्ट्रिक्ट कोऑर्डिनेटर चंदन शर्मा तथा प्रियंका चौधरी महिला अस्पताल पहुंच कर बालिका के मेडिकल परीक्षण का प्रयास किए तो महिला चिकित्सक के द्वारा कहा गया कि इस मामले में एफ आई आर नहीं हुई है तथा पुलिस भी साथ नहीं आई है इसलिए इसका मेडिकल परीक्षण नहीं किया जा सकता चाइल्ड लाइन के कार्यकर्ताओं के द्वारा जब यह दलील दी गई कि हर मामले में एफ आई आर नहीं होती है लेकिन बालिका नाबालिग है तथा सीडब्ल्यूसी ने इसके मेडिकल का आदेश दिया है इसलिए इसका परीक्षण करवाना आवश्यक है महिला चिकित्सक के द्वारा कड़ाई से मना करने पर चाइल्डलाइन के कार्यकर्ता महिला अस्पताल के एस आई सी के पास पहुंचे और उनसे सारे प्रकरण की जानकारी दी यस आई सी ने भी चाइल्डलाइन के द्वारा दिखाए गए आदेश को मानने से इनकार करते हुए कहा कि या तो पुलिस केस हो अथवा किसी न्यायिक मजिस्ट्रेट का आदेश होगा तभी मेडिकल परीक्षण किया जाएगा चाइल्डलाइन के कार्यकर्ता चंदन शर्मा के द्वारा जब यह कहा गया कि सीडब्ल्यूसी के मेंबर ने इस पर आदेश किया है उन्हें भी प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट का दर्जा प्राप्त है सीएमएस ने कहा कि मैं सीडब्ल्यूसी के आदेश को नहीं मानता तथा सीडब्ल्यूसी के सदस्य को मजिस्ट्रेट नहीं माना जा सकता इस बात की जानकारी होने पर तथा बालिका के मेडिकल परीक्षण की आवश्यकता को देखते हुए सीडब्ल्यूसी के अध्यक्ष अपने सदस्यों को साथ लेकर महिला अस्पताल पहुंच गए तथा सीएमएस से मेडिकल की बात की तो सीएमएस ने कहा कि आप लोग इससे संबंधित कोई शासनादेश हो तो मुझे दीजिए तभी मेडिकल हो पाएगा सीडब्ल्यूसी के अध्यक्ष प्रेरक मिश्रा के द्वारा यह समझाने पर की यह पुलिस केस नहीं है यह बालिका जीआरपी के द्वारा चाइल्डलाइन को सौंपी गई थी तथा इसकी मां बुलंदशहर से इसे लेने आ चुकी है ऐसे में बालिका के मेडिकल परीक्षण के हेतु सीडब्ल्यूसी का आदेश ही पर्याप्त है, सीएमएस को यह भी बताया कि दंड संहिता 1973 के तहत सीडब्ल्यूसी के अध्यक्ष तथा सदस्यों को प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट की शक्तियां प्राप्त हैं, सीएमएस ने कहा कि ऐसा कोई शासनादेश मेरे संज्ञान में नहीं है इसलिए लिखित शासनादेश प्राप्त होगा तो आगे मेडिकल किया जाएगा, इस बात को गंभीरता से लेते हुए न्याय पीठ के अध्यक्ष तथा सदस्यों ने बैठक कर निर्णय लिया कि सीएमएस जैसे जिम्मेदार पद पर बैठे हुए व्यक्ति को इतना गैर जिम्मेदार नहीं होना चाहिए , बालिका के मेडिकल परीक्षण से मना करने तथा सीडब्ल्यूसी के आदेश पर सवाल खड़ा करने पर सीएमएस तथा महिला चिकित्सक को उसका जिम्मेदार मानते हुए स्पष्टीकरण देने को कहा गया है जारी पत्र में कहा है कि देश में जब भी कोई अधिनियम, नियम पारित होता है तो उसे उसी समय गजट भी कराया जाता है गजट होने के साथ ही वह देश में निवास करने वाले व्यक्ति लोक सेवक प्रतिष्ठान संस्थान आदि पर स्वतः हो जाता है, वैसे भी नाबालिग बालिका को मेडिकल परीक्षण अथवा अन्य सुविधाओं से वंचित करना उचित नहीं है।