Monday, July 1, 2024
हेल्थ

आरबीएसके टीम के प्रयासों से परी को मिली आंखों के फिस्टूला से मुक्ति

गोरखपुर। पिपरौली ब्लॉक के तेनुआ गांव की आठ वर्षीय परी को आंखों के फिस्टूला से मुक्ति मिल गयी है। पिछले पांच वर्षों से इस बीमारी के कारण उसके आंखों की बगल से लगातार पानी आता था। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) टीम ने परी को मेडिकल कालेज ले जाकर जून 2022 में सर्जरी करवा दी। गोरखपुर जिले में फिस्टूला की आरबीएसके योजना के तहत पहली बार सर्जरी हुई है। परी अब पूरी तरह से स्वस्थ है।

परी के पिता 30 वर्षीय मोहन एक फैक्ट्री में कार्य करते हैं। वह बताते हैं कि करीब पांच साल पहले आंखों के बगल से पानी निकलना शुरू किया तो आंखों के चिकित्सक को दिखाया लेकिन बीमारी की पहचान नहीं हो सकी। हजारों रुपये इलाज में भी खर्च किये लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। जून 2022 में आरबीएसके टीम गांव के प्राथमिक स्कूल पर पहुंची तो शिक्षिका ने बच्ची की बीमारी के बारे में टीम से चर्चा किया। टीम ने परी की स्क्रिनिंग की।

टीम के चिकित्सक डॉ एसके वर्मा और डॉ पवन यादव का कहना है कि उन्हें आंखों की फिस्टूला के बारे में पहले ही ट्रेनिंग दी गयी थी। दरअसल यह बीमारी सामान्यतया शरीर के गुदा द्वार में होती है, लेकिन शरीर के अन्य भागों में भी यह हो सकती है। इसमें गुदा ग्रंथियों में संक्रमण हो जाता है और गुदा पर फोड़ा बन जाता है, जिससे मवाद आने लगता है। फिस्टूला संक्रमित ग्रंथि को फोड़ा से जोड़ने वाला मार्ग है। इसका इलाज सिर्फ सर्जरी है। इसी प्रकार कैवरनस ड्यूरल आर्टीरियोवीनस फिस्टुला एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है जिसकी समय से पहचान और इलाज आवश्यक है। अगर इलाज न हो तो मरीज की आंखें तक बाहर आ जाती हैं। परी इसी डिसआर्डर की शिकार थी।

टीम के चिकित्सकों के साथ टीम के सदस्य ओम शिवेंद्र भारती और चंदन राय ने स्क्रीनिंग के दौरान आंखों के फिस्टूला की परी में पहचान होने के बाद उसके अभिभावकों को समझाया कि घबराने की कोई बात नहीं है। इस बीमारी का इलाज हो जाएगा लेकिन उसके लिए समय देना पड़ेगा। बीपीएम राजगौरव सिंह ने भी टीम को आवश्यकतानुसार सहयोग किया । बच्ची के परिवार के लोग समय देने के लिए तैयार हो गये।

मोहन ने बताया कि 15 जून को परी को पिपरौली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बुलाया गया और वहां से आरबीएसके की गाड़ी से पहले सदर अस्पताल ले जाया गया और फिर वहां से बीआरडी मेडिकल कॉलेज ले जाकर भर्ती करवा दिया गया। 16 जून को बच्ची की सर्जरी हुई और 17 जून को वह डिस्चार्ज हो गयी। पूरी सुविधा निःशुल्क मिली और अब उसके आंखों की दिक्कत पूरी तरह से खत्म हो चुकी है।

*पहली सर्जरी है*

योजना की डीईआईसी मैनेजर डॉ अर्चना ने बताया कि जिले में पहली बार फिस्टूला की सर्जरी योजना के तहत हुई है। इसके पीछे अधीक्षक डॉ शिवानंद मिश्रा और आरबीएसके टीम का विशेष योगदान है। योजना के तहत बच्चों के 44 प्रकार की बीमारियों का इलाज निःशुल्क कराया जाता है। इसका लाभ संस्थागत प्रसव वाले बच्चों, स्कूल व आंगनबाड़ी केंद्र जाने वाले बच्चों को मिलता है।

*प्रत्येक ब्लॉक में दो टीम*

जिले के प्रत्येक ब्लॉक में आरबीएसके की दो टीम हैं जो स्कूल व आंगनबाड़ी केंद्रों पर जाती हैं। इस टीम से बच्चों का इलाज करवाने के लिए आशा कार्यकर्ता की भी मदद ली जा सकती है। टीम की मदद से बच्चों को निःशुल्क इलाज की सुविधा मिलती है।