Sunday, May 19, 2024
साहित्य जगत

भावों को उकेरती हूँ मैं कवयित्री हूँ

लखनऊ। युवा कवयित्री सरिता त्रिपाठी जी के फेसबुक पटल पर मैं कवयित्री हूँ शीर्षक पर आधारित काव्य गोष्ठी के चार एपिसोड का आयोजन सफल हुआ। जिसमे दिए हुए शीर्षक पर सभी प्रतिभाग करने वाली कवयित्रियों ने स्वरचित रचनाओं का अपनी वाणी में लाजबाब प्रस्तुति देकर सभी दर्शको का मन मोह लिया। एक ही शीर्षक पर जब अलग-अलग कवयित्रियों ने अपने भावों को कलमबद्ध करके प्रस्तुत किया तो ऐसा प्रतीत हो रहा था विश्व की सभी स्त्री जो लेखिका हैं या जो सिर्फ श्रोता हैं सभी के मन में उठते प्रसंगों को अपने कलम में उतार दिया हो। इस कार्यक्रम में प्रस्तुति देने वाली कवयित्रियों का विवरण इस प्रकार से हैं – वीणा शर्मा ‘सागर’ जी राजस्थान से, अर्चना जैन जी छत्तीसगढ़ से, डॉ अपर्णा प्रधान जी गोवा से, प्रीती पांडेय जी उत्तर प्रदेश से, डॉ पुष्पा सिंह जी उत्तर प्रदेश से, डॉ रेणु मिश्रा जी हरियाणा से, पूजा जी महाराष्ट्र से, डॉ शोभा त्रिपाठी जी उत्तर प्रदेश से, पूनम माहेश्वरी जी उत्तर प्रदेश से, निवेदिता रॉय जी बहरीन से, उषा शर्मा जी दिल्ली से, डॉ अलका अरोरा जी उत्तराखंड से, डॉ मंजू जी पंजाब से, मधुलिका जायसवाल जी वेस्ट बंगाल से, ऋतू तिवारी जी उत्तर प्रदेश से, अपर्णा दुबे जी ने सिवनी मध्य प्रदेश से कार्यक्रम का सञ्चालन किया एवं पेज संस्थापिका एवं निवेदिका सरिता त्रिपाठी जी ने लखनऊ उत्तर प्रदेश से इस कार्यक्रम को सुनियोजित तरीके से संपन्न किया। सभी लोगो ने एक से बढ़कर एक प्रस्तुति दिया कुछ लोग एक से अधिक एपिसोड में उपस्थित रहे और कुछ लोगों ने कई सारी कविताएँ कमेंट बॉक्स में ही लिखकर डाला। इस तरह से प्रतिभागी एवं दर्शक दोनों तरफ से मैं कवयित्री हूँ शीर्षक पर कवितायेँ लिखी गयी एवं प्रस्तुत की गयीं सभी की कविताओं का मूलभूत अधिकार रचना को लिखने वालों के पास ही सुरक्षित हैं क्योंकि सभी के अपने उपजे भाव हैं जिस पर सिर्फ और सिर्फ उसी व्यक्ति का अधिकार हैं। इस कार्यक्रम में प्रस्तुत किये गए कविताओं को प्रतिभागी कही भी प्रस्तुत या प्रकाशित करवाने के लिए स्वतंत्र हैं, सरिता त्रिपाठी फेसबुक पेज किसी भी तरह से कवयित्रियों द्वारा उनके स्वरचित कविताओं पर कोई अधिकार नहीं रखता हैं।

सरिता त्रिपाठी
लखनऊ, उत्तर प्रदेश