Monday, May 13, 2024
व्रत/त्यौहार

माँ काली की महिमा से दुःखों का होता है नाश

मान्यताओं को लेकर प्रसिद्ध है माता महाकाली मंदिर

बस्ती(अरुण मिश्रा) । जनपद के कप्तानगंज विकासखंड के ग्राम पंचायत पगार में मनोकामना सिद्ध माता महाकाली का मंदिर सभी के दुःखों का नाश करने वाला पौराणिक मान्यताओं वाला मंदिर है।
ग्रामीणों द्वारा अंग्रेजों के जमाने से यहां मिट्टी की हाथी का स्वरूप रखकर पूजा पाठ करने की शुरुआत हुई,
वर्तमान में करीब 22 वर्षों से मंदिर में सेवादार के रूप में माता महाकाली के प्रति आस्था रखते हुए पंडित राम प्रसाद मिश्र ने जानकारी दी कि मेरी उम्र करीब 77 वर्ष है और जब मैं छोटा था उसके पूर्व से ही यहां पूर्वजों द्वारा मिट्टी से निर्मित हाथी का स्वरूप रखकर ग्रामीण माता महाकाली की पूजा करते थे। इससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि इस मंदिर पर पूजा पाठ करने का जो सिलसिला है करीब सैकड़ों वर्ष पूर्व से है।
पुजारी राम प्रसाद मिश्र ने बताया कि मेरे बाबा दादा के जमाने से यह मंदिर मान्यताओं को लेकर सुप्रसिद्ध है जो भी श्रद्धालु अपनी इच्छा व मनोकामना मां के सामने रखता है तो जल्द ही उनकी कृपा से उसकी मनोकामना पूर्ण होती है।
ग्राम पंचायत पगार के ही चकबंदी विभाग से सेवानिवृत्त पंडित राघव राम त्रिपाठी द्वारा करीब 50 वर्ष पूर्व इस स्थान को छत का स्वरूप देकर मंदिर के रूप में बदला गया, श्री त्रिपाठी द्वारा खुले आसमान के नीचे रखें माता महाकाली के हाथी स्वरूप को मंदिर के रूप में बनाकर मंदिर की शोभा बढ़ाई गई, परंतु करीब 28 व 30 वर्ष बीतने के बाद भवन जर्जर और पुराना हो गया जिसे सन 2001 में पंडित राम प्रसाद मिश्र द्वारा नए तरीके से मंदिर का निर्माण कराते हुए मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया।
ग्रामीणों के सहयोग से धीरे-धीरे यह मंदिर बनता हुआ दिखाई दे रहा है।
पंडित राम प्रसाद मिश्र व चंद्रप्रकाश लाल श्रीवास्तव उर्फ लल्लू श्रीवास्तव द्वारा 2001 में हाथी के स्वरूप को बदलकर माता महाकाली का वास्तविक रूप विधिवत पूजा पाठ करते हुए नवनिर्मित मंदिर में स्थापित किया गया।
क्षेत्र व गांव के लोगों की माने तो दूर-दूर तक माता महाकाली की महिमा व्याप्त है, गांव के बहुतायत लोग शहर में निवास करते हैं और वह लोग भी गांव में बने मनोकामना सिद्ध माता महाकाली मंदिर पर सत्र में पड़ने वाले दोनों नवरात्रि में दर्शन करने के लिए आते हैं।
करीब 20 वर्ष पहले से पंडित राम प्रसाद मिश्र द्वारा सुबह शाम पूजा पाठ करते हुए आरती की जाती है।
जिसमें गांव के भी लोग शामिल होकर पूजा पाठ हो आरती करते हैं।
यह सिलसिला लगातार कई वर्षों से चलता आ रहा है। इस मंदिर पर पीढ़ी दर पीढ़ी पूजा पाठ करते लोग दिखाई दे रहे हैं। पंडित श्री मिश्र ने बताया कि एक बार मेरी स्वयं की तबीयत इतनी ज्यादा खराब हो गई थी और मैं पूरी तरह से मरणासन्न अवस्था में पहुँच गया था उपचार के संसाधनों का आभाव था लेकिन मेरी आस्था और विश्वास मां के साथ जुड़ी थी मैंने अपनी प्रार्थना उन्हीं के सामने रखी, करीब 25 वर्ष हो गए अब मैं पूरी तरह से स्वस्थ हूं और मंदिर की सेवा में तन मन धन से लगा रहता हूं।