Sunday, May 5, 2024
साहित्य जगत

बाल कविता (मेरा खेत)

प्यारा- न्यारा मेरा खेत,
हरा भरा सुंदर खेत ।

उसमें फसलें लहरातीं,
मेरे मन को बहुत लुभातीं ।

पीली सरसों- महके सरसों,
फूले अरहर- झूमे अरहर ।
चहुं ओर है छाई बहार ।।

बेहद लंबा हुआ बाजरा,
उग आये मूली- गाजर ।
लाल हुआ गोल टमाटर ।।

प्यारा- न्यारा मेरा खेत,
हरा भरा सुंदर खेत ।

किसी से कम न गोभीआलू,
बहुत रुलाते प्याज- रतालू ।

कलुआ बैंगन बन बैठा राजा,
कद्दू का पीकर हो गया मोटा ।
गन्ना कभी नहीं देता टोटा ।।

बहुत महकता धनिया,
भाव खा रही मटर ।
सुध-बुध हो गई ज्वार ।।

सबको उगाता मेरा खेत ।
हरा भरा सुंदर खेत ।।

– मुकेश कुमार ऋषि वर्मा
ग्राम रिहावली, डाक घर तारौली गुर्जर, फतेहाबाद, आगरा, उत्तर प्रदेश 283111
मोबाइल 9627912535