Saturday, May 18, 2024
साहित्य जगत

किस्मत को मेरे क्यों ? खुद ही जवाब दूं,….

किस्मत को मेरे क्यों ? खुद ही जवाब दूं,
लगता है मूकबधिर को ख़ुद ही आवाज दूं।
करते रहो यत्न अपने ही वक्त पर,
सिद्दत से ढूंढू प्रश्न!और खुद ही जवाब दूं।

श्रृंगार के संसार को भावों से करार दूं,
लगता है कभी ये स्वार्थी संसार त्याग दूं,
हिम्मत गर टूटे हैं अपने ही विश्वास से,
ख़ुद के ही चेतना से नकारात्मकता को नकार दूं।

जो डालते हैं भ्रमजाल में मैं उनको भी डाल दूं,
लगता है जो व्यर्थ उसको सार्थक करार दूं।
कसते रहो तंज हर पल मेरे जीवन में,
खुशियों के आगे मैं दुखों का पहाड़ टाल दूं।

छल में जो जीते हैं मैं उनको उबार दूं,
डूबे हुए अंधेरे में मैं प्रकाश की फुहार दूं।
जूझते हैं जो किसी की कामयाबी देखकर,
फैसले से खुद के उसको परास्त करार दूं।

आशीष प्रताप साहनी
भीवा पार भानपुर बस्ती
उत्तर प्रदेश 272194
8652759126