Sunday, May 5, 2024
बस्ती मण्डल

पैक्स समितियों के दिन बहुरना तय

बस्ती। सहकार भारती के सक्रियता के चलते प्रारंभिक कृषि ऋण सहकारी समितियों के दिन अब बहुरने वाले हैं। बताते चलें की केंद्रीय मंत्रिमंडल में अभी तक सहकारिता का विभाग अलग नहीं था। यह कृषि मंत्रालय पर आश्रित रहता था। लेकिन वर्तमान भारत सरकार के लगाव के चलते कृषि विभाग से सहकारिता मंत्रालय अलग कर दिया गया। और एक कद्दावर नेता अमित शाह को सहकारिता मंत्रालय का प्रभार भी सौंपा गया। जिसके चलते पूरे विभाग की सक्रियता सहकारिता विभाग की निचली इकाई पैक्स समितियों तक दिखाई पड़ रही है।
उत्तर प्रदेश सरकार का भी ध्यान अब सहकारिता विभाग की ओर आकर्षित होने लगा है। सरकार ने अब डूब रहे जिला सहकारी बैंकों के अस्तित्व को बचाने हेतु सहकारिता विभाग की निचली इकाई पैक्स समितियों को फ्रेंचाइजी बैंक के रूप में प्रोडक्ट किया है। इसके लिए सहकारिता विभाग समितियों को माइक्रो एटीएम के जरिए बैंकिंग का काम जिला सहकारी बैंक विभाग के निर्देशन में सौंप रहा है। मुंडेरवा के जिला सहकारी बैंक की शाखा पर बुधवार को साप्ताहिक बैठक में 17 समितियों के सचिवों की सहभागिता रही । बैठक की मानिटरिंग एडीओ कोआपरेटिव मनोज चतुर्वेदी तथा प्रभारी शाखा प्रबंधक विक्रम सिंह ने किया है। दोनों अधिकारियों ने संयुक्त रूप से स्वतंत्र चेतना को जानकारी दी कि विभाग में अब निर्वाचन आयोग की नियुक्ति हो चुकी है। निर्वाचन सूची समितियों से तैयार कराई जा रही है।
डिफाल्टर बकायेदारों के लिए एकमुश्त समझौता योजना लागू किया गया है । 1997 के पूर्व के बकायेदारों को अपने कर्ज की अदायगी का स्वर्णिम लाभ का समय चल रहा है 1997 के पूर्व लिए हुए समितियों के बकायेदारों को केवल मूलधन जमा करना है। ब्याज की राशि पूर्णतया छोड़ दिया गया। जिसका व्ययभार सहकारी समितियां बहन करेंगी । उन्होंने आगे बताया कि प्रयोग के तौर पर जिले की कुछ सहकारी समितियों में अल्पकालीन ऋण वितरण करने की भी कार्यवाही चल रही है ।मुंडेरवा ब्रांच के अंतर्गत साधन सहकारी समिति सजना खोर कथरूआ का चयन किया गया है। समितियों के गोदाम मरम्मत के लिए सूचनाएं भेजी गई हैं। नीतिगत दोषो के चलते समितियां बजट के अभाव से वंचित रही है। जिसके चलते इन समितियों के भूमि भवन अभिलेखों का रखरखाव समुचित रूप से नहीं हो पा रहा था। कई समितियों के रिकॉर्ड क्षतिग्रस्त गोदामों के चलते सीलन और रिकॉर्ड भी गल गए जो दिमको के आक्रमण से बचाया नहीं जा सका। आर्थिक रूप से जूझ रही इन समितियों के कर्मचारी भी कई कई वर्षों से वैतनिक अभाव झेल रहे हैं । इस विषम परिस्थितियों में भी समितियों के सचिवों से अपेक्षा की गई, कि वे अद्यावधि तक संतुलन पत्र एवं ऑडिट कराए जाने की कोशिश करें । इसी में जनहित समिति हित एवं कर्मचारियों का हित भी निहित है। निर्वाचन सूची ऑनलाइन फीडिंग होनी है। तथा समिति के व्यवसाय को परम वैभव तक पहुंचाना है। इन लोगों ने आगे बताया पैक्स समितियों के मूल व्यवसाय को अन्य समितियों ने भी छीन लिया। यही कारण है कि समितियां जीर्ण शीर्ण हो गई। प्रदेश की सरकार ने समितियों के व्यवसाय में अब बिजली के बिल की अदायगी भी जोड़ कर स्वाश्रयी होने की दिशा में अपना आशीर्वाद प्रदान किया है। इस अवसर पर 17 समितियों के सचिव गुल हसन अरुणेश पांडे विष्णु दुबे रामप्रकाश यादव रामशरण चौधरी आदि लोग उपस्थित रहे।