Wednesday, July 3, 2024
उत्तर प्रदेश

29th काव्यगोष्ठि का आनलाइन आयोजन संपन्न

बस्ती। प्रसिद्ध साहित्यकार, प्रख्यात कवयित्री नीलम सक्सेना चंद्रा के फेसबुक पेज से 29th काव्यगोष्ठि का आनलाइन आयोजन संपन्न हुआ। आज के कार्यक्रम में सभी प्रतिभागियों ने दो चरणों में अपनी कविताओं को प्रस्तुत किया।
इस कार्यक्रम के संचालन का तकनीकी योगदान कवियत्री सरिता त्रिपाठी जी (लखनऊ) एवं मंच संचालन कवि अनूप पाण्डेय जी (मुम्बई) ने किया। कार्यक्रम में कवियत्री प्रीती पाण्डेय जी (लखनऊ), कवियत्री रिमझिम श्रीवास्तव जी (बैंगलोर), कवि अनुप जालान जी (मुम्बई) एवं कवयित्री पूजा नांगिया जी (गुरुग्राम) ने प्रतिभाग कर अपनी कविताओं को अपने मधुर स्वर में प्रस्तुत किया। सभी की कविताएँ दिल को छूने वाली और मन को मुग्ध करने वाली थी और श्रोतागणों की खूब वाहवाही मिली सभी को।
प्रीती जी की पंक्तियाँ कुछ इस प्रकार रही दोनों चरण की प्रस्तुति में-
बारिश की फुहारों से फिर धरती हरियाई है,
मानो चहुँ ओर हरितिमा सी छाई है।

आज शहर की गलियारों में फिर रौनक देखी,
गौर से देखा तो जिम्मेदारियों को पूरा करने की दौड़ थी।

रिमझिम जी की पंक्तियाँ इस प्रकार रही –
ये जीवन एक कहानी ही तो है
कौन कहता है, कौन सुनता है, क्या पता?

जीवन के पथ पर, बस आगे बढ़ते जाना है,
चाहे कितनी भी विषमताएं आये, मत हारना हिम्मत।

पूजा जी की पंक्तियाँ इस प्रकार रही –
न मांगना न छीनना चाहती हूं
तुमको भी पता है मैं क्या कहना चाहती हूं।

वो लूडो वो साप सीढ़ी में अपनी बारी
कभी जीती कभी हारी
ये जिंदगी सी लगने लगी है।
कुछ तो बाहर की हवा शुद्ध होने लगी है।

अनुप जी की पंक्तियाँ इस प्रकार रही –
नभ छाए घन बादल कारे
छाए मोरे हिय अंधियार

सरिता जी की पंक्तियाँ इस प्रकार रही –
सुनो क्या तुम्हें पता है
हवाओं के संग पत्ते क्यूँ मचलते हैं
बच्चों से कैसे अठखेलियाँ करते हैं
डालियाँ भी तो झूला झूलती हैं
ये हवाएँ कितनी मस्त होती हैं

हरे रामा बहय बैरी बयरिया
बदरिया घिरी रे हारी

अनूप जी की पंक्तियाँ इस प्रकार रही –
नभ छाए घन बादल कारे
छाए मोरे हिय अंधियार

अनूप जी का संचालन कबीले तारीफ रहा, नीलम सक्सेना जी का मंच प्रदान करने के लिए हार्दिक आभार, प्रसून जी का पोस्टर बनाने के लिए तहेदिल से शुक्रिया। नीलम जी, अंजली जी, निवेदिता जी, पुष्पा जी, दीप्ति जी, मनीषा जी, सुनील जी, संजय जी, पूर्णिमा जी, रेणु जी, वहीदा जी, सतबीर जी, अन्य सभी उपस्थित मित्रों एवं साहित्य प्रेमियों का तहेदिल से आभार लाइव सुनकर हौसला बढ़ाने के लिए। यह कार्यक्रम सप्ताह में प्रत्येक शुक्रवार को नौ बजे होता है आप लोग जरूर जुड़े और आनंद उठायें।

कवि को कविता प्यारी, जब श्रोता भी करें प्यार
नहीं मजा है बिन श्रोता के, मिले न वाह अपार