Monday, May 6, 2024
साहित्य जगत

गस्त कर रहे नभ में पंछी…

मौसम है आज सुहाना,
प्रकृति भी मेहरबां है।
टपक रही है बारिश की बूंदे,
चेहरे पर खुशी बरकरार है।

तपते गर्मी में ढंडक दे रही,
हवा ये खुशमिजाज है।
तप रहा था चहुआेर गर्मियां,
बारिश का आनंद आज है।

गस्त कर रहे नभ में पंछी,
संग चंचलता भरमार है।
झूम रही हैं फसले खेतों में,
मस्त हरियाली के राग में।

मानव भी है प्रसन्न आज,
वर्षा के रंग ढगो में।
हो गया बेमौसम बारिश,
ये तो किस्मत की भी बात है।

आशीष प्रताप साहनी
भीवा पार भानपुर बस्ती
उत्तर प्रदेश 272194
8652759126