Saturday, May 18, 2024
साहित्य जगत

माँ

जन्म दिया है मां ने,

कर्म हमें करना होगा।
मां ही मेरी गुरु है,
ज्ञान अर्पण करना होगा।

मां से बड़ा है न कोई,
सारे इस संसार में,
कोई कम नहीं कर सकता है,
मां और मेरे प्यार में।

पग पग हमें चलना सिखाया,
जीवन हमें जीना सिखाया।
निस्वार्थ भाव से मां ने हमें,
जग में कुछ करना सिखाया।

मां ने मातृत्व सुख के खातिर,
जीवन अपना दाव लगाया।
नौ माह पेट में पालकर,
हमें नवीन संसार में लाया।

रहूंगा आजीवन ऋणी मैं,
मां के त्याग तपस्या का।
दुख दर्द सब त्यागकर ,
अपना प्यार हमें पाया।

न जाने कितना है प्यार करती मां,
दुख दर्द सब हरती मां।
चांद के टुकड़े भी ले आती,
मेरी ये प्यारी मां।

रूठने पर हमें मनाती है,
मुंह मांगी चीजें लाती है मां।
खुद भुखे रहकर भी,
भरपेट हमें खिलाती है मां।

आशीष प्रताप साहनी
भीवा पार भानपुर बस्ती
उत्तर प्रदेश 272194
8652759126