Friday, June 28, 2024
साहित्य जगत

……… पवित्र होली……..

.है पर्व यह रंगों का,
भर देता है भाव उमंगों का।
आता है यह बसंतो में,
होली है यह संगो में।

मनाते हैं त्यौहार धूमधाम से,
रंगरलियां मनाते हैं घूमघाम से।
रंग जाते हैं जन जन एकता के रंगों से।
है त्यौहार होली पवित्र उमंगों में।

घर घर बनते गुझिया पकवान,
प्यार प्यार से करते जलपान।
उड़ाते हैं रंग, अबीर ,गुलाल,
आया है मेरा रंगों का त्योहार।

करते हैं ठंडी ठंडी शिकंजी से शुरुवात,
है बिसराते अनेकता की बात।
घोल डालते मन के रंगों में,
भर देते हैं भाव होली के उमंगों से।

आशीष प्रताप साहनी
भीवा पार भानपुर बस्ती
उत्तर प्रदेश 272194
8652759126