Thursday, May 2, 2024
बस्ती मण्डल

वसीम रिज़वी से सलाम करना या उसके सलाम का जवाब देना, उससे ताल्लुकात रखना नजायज व हराम हैं।

बस्ती।क़ुरान अल्लाह का कलाम हैं और अल्लाह खुद मोकद्दस किताब क़ुरान पाक का मोहाफिज़ हैं। क़ुरान की हिफाजत अल्लाह ने खुद अपने दस्ते कुदरत से लिया हैं। जिसने भी क़ुरान पाक की बेहुरमती किया उसका अल्लाह से खुला जंग हैं, अल्लाह उसे गारत कर देगा और यह ख़बिशी काम शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष मरदूद व ख़बबिस वसीम रिज़वी ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दे कर किया हैं। जिसमें मरदूद ख़बबिस ने कहा हैं कि क़ुरान पाक की 26 आयतों को हटा दिया जाए क्योंकि इससे आतंकवाद को बढ़ावा मिलता हैं।

रिज़वी का यह सोच व बयान क़ुरान करीम की बेहुरमती हैं। 1400 साल से ज्यादा का वक़्त बीत गया हैं क़ुरान पाक में कोई फेर बदल नही हैं और तकयामत तक नही रहेगा। क़ुरान केवल मुस्लिम की रहनुमाई नही बल्कि पूरे कायनात में जितने भी इंसान हैं वो किसी भी जाति-धर्म के हो सबकी रहनुमाई के लिए हैं और इंसानियत का दर्स देता हैं।
वसीम रिज़वी ने खुले तौर पर क़ुरान करीम की गुस्ताखी करके अल्लाह से एलानिया जंग किया हैं। अल्लाह उसको और उसकी सोच को गारत करेगा। रिज़वी की गिरफ्तारी देशहित में जल्द होना न्याययोचित हैं क्योंकि उसने मुझे और करोड़ो मुसलमान व अन्य धर्म के अमन पसंद इंसानो को रूहानी, मानसिक, शारीरिक भावनाओं का बहूत ही आघात पहुचाया हैं। इस तरह का षड्यंत्र कोई नया नही हैं, रिज़वी जैसे लोग तो एक मोहरा व दलाल हैं।
वसीम रिज़वी से किसी भी मुसलमान व उसके ताल्लुकात वालो का उससे सलाम करना या उसके सलाम का जवाब देना, उससे ताल्लुकात रखना नजायज व हराम हैं क्योंकि वसीम रिज़वी की सोच व बयान के मुताबिक उसका मुस्लिम होना दूर की बात वो तो अब इंसान ही नही रहा बल्कि ख़बबिस-ए-जमात से उसका रिश्ता पुख्ता हो गया हैं। उक्त बातें दारुल उलूम इस्लामियां फैजाने आलम परसा दमया के प्रधानाचार्य व आलम रूहानी मिशन के आध्यात्मिक गुरु उस्ताद एजाज़ आलम खान क़ादरी ने कहा।