देर रात तक
आँखें जगी थी देर रात तक…पलकों में इंतजार था तेरे आने की आहट सुनाई दे…इसी का इंतजार था कभी अतीत
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Read Moreबस्ती। हरीश दरवेश की लिखी 94 ग़ज़लों का संग्रह ‘‘हमारी सदी में’’ का लोकार्पण मासिक पत्रिकार अनुराग लक्ष्य के बैनर
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